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पिता की मौत के बाद पाई अनुकंपा नियुक्ति और भुला मां की सेवा, हाईकोर्ट ने बता दी औकात, दिया ये आदेश

 Newsbaji  |  Jun 24, 2024 11:26 AM  | 
Last Updated : Jun 24, 2024 11:26 AM
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने अपना फैसला सुनाया है.
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने अपना फैसला सुनाया है.

बिलासपुर. एसईसीएल कर्मचारी की मौत पर उसके बड़े पुत्र को अनुकंपा नियुक्ति दिए जाने की सहमति उसकी पत्नी व छोटे बेटे ने दी थी. बदले में बेटे बेटे को उन दोनों की आर्थिक मदद करनी थी. बाद में वह मुकर गया. वहीं सिंगल बेंच ने 10 हजार रुपये देने का आदेश दिया, जिसके खिलाफ डीबी में अपील की. डिवीजन बेंच ने उसकी अपील खारिज कर दी है.

बता दें कि कोरबा क्षेत्र में रहने वाली महिला का पति एसईसीएल दीपका में कर्मचारी था. सेवाकाल के  दौरान पति की मौत होने पर उसने अपने बड़े पुत्र को अनुकंपा नियुक्ति देने सहमति दी. एसईसीएल की नीति के अनुसार अनुकंपा नियुक्ति पाने वाला मृतक के आश्रितों का देखभाल करेगा, यदि वह अपने नैतिक व कानूनी दायित्व का उल्लंघन करता है, तो उसके वेतन से 50 प्रतिशत राशि काट कर आश्रितों के खाते में राशि जमा किया जाएगा. इस मामले में अनुकंपा नियुक्ति पाने के बाद कुछ दिनों तक बड़ा बेटा अपनी मां व भाई का देखभाल करता रहा. 2022 से उसने मां व छोटे भाई को छोड़ दिया.

मां ने एसईसीएल की नीति के अनुसार, उसके वेतन से कटौती कर 20 हजार रुपए प्रति माह दिलाए जाने याचिका पेश की. मामले में एसईसीएल को भी पक्षकार बनाया गया. एसईसीएल ने जवाब में कहा कि नीति के अनुसार सहमति का उल्लंघन करने पर 50 प्रतिशत राशि काट कर मृतक के आश्रितों के खाता में जमा किया जाना है. एसईसीएल के जवाब पर उत्तरवादी पुत्र ने कहा कि याचिकाकर्ता मां को 5500 रुपए पेंशन मिल रहा है, इसके अलावा मृतक की सेवानिवृत्त देयक राशि है.

 इससे वह अपना देखभाल कर सकती है. इसके साथ उत्तरवादी पुत्र ने 10 हजार रुपए प्रतिमाह देने कोर्ट में सहमति दी. सहमति देने पर एकल पीठ ने 10 हजार रुपए हर माह देने था भुगतान में चूक करने पर एसईसीएल को उसके वेतन से काट कर मां के खाता में जमा कराने का निर्देश दिया.

हाईकोर्ट की एकल पीठ के निर्णय के खिलाफ बड़े बेटे ने डीबी में अपील पेश की. अपील में उसने कहा कि उसका कुल वेतन 79 हजार नहीं बल्कि 47 हजार रुपए हैं, इसमें भी ईएमआई कट रहा है. चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की डीबी ने कहा कि मां की सहमति से बड़े बेटे को नियुक्ति मिली है और पूर्व में 10 हजार रुपए देने की कोर्ट में भी पुत्र ने सहमति दी थी. इसलिए तय की हुई राशि हर महीने मां के खाते में भुगतान करनी ही होगी. इस आदेश के साथ कोर्ट ने पुत्र की अपील को खारिज कर दिया है.

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