रायपुर. आरटीई यानी शिक्षा का अधिकार कानून के तहत गरीब व जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला कराया जाता है. इसके लिए निजी स्कूलों को कुल सीटों के मुकाबले 25 प्रतिशत सीटें रिक्त रखनी होती है. देखने में आया है कि एक से 2 साल बाद कई बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं.
ऐसे में अब सरकार ने सभी कलेक्टरों को अपने जिले में सर्वे करा इसकी रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है. इसी के तहत अब टीमें सर्वे कर ऐसे बच्चाें, उनके अभिभावकों और स्कूलों से जानकारी जुटाएंगी और वास्तविक कारणों का पता लगाएंगी.
बता दें कि हर साल की तरह इस बार भी आरटीई के तहत विभिन्न जिलों में अब तक 16 हजार बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला कराया गया है. बच्चों का चयन लॉटरी निकालकर की गई है. इसमें रायपुर, बिलासपुर, राजनांदगांव, दुर्ग, कवर्धा, जशपुर और जगदलपुर जिले शामिल हैं.
पूर्व के सालों में भी इसी तरह से दाखिला कराया गया है. कई गरीब परिवारों के बच्चे महंगे निजी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं. लेकिन, यह शत-प्रतिशत भी नहीं है. कई बच्चे ऐसे भी हैं, जो एक या दो साल ही इन स्कूलों में पढ़े और फिर उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी.
इसके अलावा कई ऐसी शिकायतें भी सामने आई हैं, जहां निजी स्कूल प्रबंधन द्वारा इन बच्चों पर स्कूल छोड़ने के लिए दबाव बनाया गया है. इसके अलावा उन्हें विभिन्न तरीकों से परेशान करने का भी पता चला है. जबकि कई मामले ऐसे भी हैं, जिसमें अभिभावक ही अपने बच्चों से काम कराने या छोटे बच्चों की देखभाल के लिए बच्चों की पढ़ाई छुड़ा चुके हैं.
इन सबको देखते हुए ही सर्वे का निर्देश दिया गया है. इसमें बच्चों, अभिभावकों और स्कूल प्रबंधन से बातचीत कर वास्तविक कारणों का पता किया जाएगा. वहीं रिपोर्ट के आधार पर उचित निराकरण किया जाएगा. आवश्यकता हुई तो स्कूल प्रबंधन दोषी पाए जाने पर बड़ा एक्शन भी लिया जा सकता है.
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