रायपुर. छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव 2023 के नतीजे आ गए हैं. 5 साल विपक्ष में बैठने के बाद बीजेपी भी सत्ता में आ गई है. कांग्रेसी माहौल के बीच बीजेपी को जीत मिलने को मोदी-शाह का कमाल बताया जा रहा है. इस चौंकाने वाले नतीजे के बाद माना जा रहा है कि सीएम के लिए जो चेहरा तय किया जाएगा वह भी चौंकाने वाला ही होगा.
चुनाव परिणाम आने के बाद चर्चा का दौर भी शुरू हो गया है. खास बात ये कि प्रदेश का मुख्यमंत्री अब किसे बनाया जाएगा. डॉ. रमन सिंह ने भले ही 3 टर्म में ये जिम्मेदारी बखूबी निभाई है, लेकिन उनके नेतृत्व में ही चुनाव भी हारा. अब जब चुनाव लड़ा गया तो सिर्फ मोदी के चेहरे पर.
इस चुनाव में हिंदुत्व के मुद्दों से लेकर विकास, भ्रष्टाचार, युवाओं की नाराजगी आदि को भुनाने की कोशिश की गई है. प्रदेश के लोग जिन्होंने बीजेपी को वोट दिया, वे भी कई तरह की अपेक्षाएं रखे हुए हैं. ऐसे में उनके नजरिए से और उनकी अपेक्षा के अनुरूप चेहरे पर भी विचार किया जा सकता है.
ऐसे में कई चेहरों पर बात हो रही है. अलग-अलग संदर्भ में अलग-अलग चेहरों पर ये अटकलें लग रही हैं कि ये सीएम का चेहरा हो सकता है. इसमें कई ऐसे चेहरों पर दांव भी लग रहा है कि बीजेपी इन्हें आगे कर सकती है.
चौंकने को तैयार लोग
पीएम मोदी और अमित शाह की केंद्रीय राजनीति से अब लगभग सभी वाकिफ हो गए हैं. कई निर्णय चौंकाने वाले लिए जाते रहे हैं. निर्णय के बाद उन्हें समझ में उनका मंतव्य समझ में आता है. टोह तो नहीं ले पाते, लेकिन अटकलें जरूर लगाते रहते हैं. ऐसे में इस बार भी सभी चौंकने को तैयार हैं. ऐसे में डॉ. रमन िंसह के अलावा अलग-अलग तरीके से कुछ चेहरों पर संभावना भी जता रहे हैं और उनके पीछे तर्क भी दे रहे हैं.
मुद्दे और उनके अनुरूप चेहरे
ओपी चौधरी- पूर्व आईएएस ओपी चौधरी युवा हैं, एजुकेशन, प्रशासन, मैनेजमेंट, ग्रामीण, छत्तीसगढ़िया समेत तमाम बातें उनसे जुड़ी हुई है. युवाओं के मुद्दे और पीएससी घोटाले के संदर्भ में वे मुखर रहे हैं. एक चेहरा उन्हें लेकर बनाया जा रहा है.
विष्णुदेव साय- देश की राजनीति में बीजेपी ने आदिवासी वोटबैंक को हासिल करने के लिए कई जतन किए हैं. प्रदेश का एक धड़ा लंबे समय से सीएम के रूप में आदिवासी चेहरे की मांग करते रहा है. बस्तर से लेकर सरगुजा तक आदिवासी इलाकों के वोट भी इस बार बीजेपी के खाते में गए हैं. ऐसे में इस नजरिए से विष्णुदेव साय पर भी लोगों की उम्मीद बंध रही है.
अरुण साव- प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही सरकार और पार्टी के रणनीतिकारों ने ओबीसी के मुद्दे को आगे बढ़ाया. सीएम भूपेश बघेल से लेकर उनके मंत्रिमंडल के कई सदस्य, स्थानीय चुनावों में भी ओबीसी चेहरों को आगे लाया गया. इसकी काट के रूप में बीजेपी ने भी इस वोटबैंक को साधने के लिए ऐसे चेहरों को आगे किया. इसमें अरुण साव का नाम भी प्रमुखता से आया. उम्मीद करने वाले इस एंगल से साव पर भी दांव खेलने की संभावना जता रहे हैं.
रेणुका-गोमती- महिला वह भी आदिवासी वर्ग से, यह भी बीजेपी के कई एजेंडों को पूरा करने में अहम भूमिका निभा सकता है. ऐसे में रायगढ़ सांसद रहीं गोमती साय और केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह दोनों ही बीजेपी की मंशा के अनुरूप बेहतर विकल्प हो सकती हैं.
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