रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हुई केबिनेट की बैठक में बड़ा फैसला लिया गया है. इसके तहत शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश के लिए 58 प्रतिशत आरक्षण के नियमों का पालन किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट की ओर से इसकी बहाली के बाद कैबिनेट ने ये निर्णय लिया है. इसके साथ ही प्रशिक्षार्थियों व शैक्षणिक संस्थाओं के लिए रास्ता साफ हो गया है.
बता दें कि पूर्व में हाई कोर्ट ने प्रदेश में बीजेपी के शासनकाल में लागू किए गए 58 प्रतिशत आरक्षण को असंवैधानिक बताते हुए इस पर रोक लगा दी थी. इसके बाद से नियुक्ति से लेकर प्रवेश पर आशंकाएं बढ़ गईं. आनन-फानन में राज्य सरकार ने नया आरक्षण विधेयक विधानसभा में प्रस्तुत किया. कानून का स्वरूप देने के लिए इसे राज्यपाल के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा गया.
वहां मामला विचाराधीन ही रह गया. इस बीच सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी. इसमें सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर स्टे लगा दिया. फिर क्या था, सरकार ने भी नियुक्ति के लिए 58 प्रतिशत आरक्षण के साथ आगे बढ़ने का फैसला ले लिया था. लेकिन, शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हुई थी.
दाखिले पर संकट टला
नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने का दौर है और प्रदेश में कई पाठ्यक्रमों व व्यावसायिक प्रशिक्षण आदि में अब तक प्रवेश की प्रक्रिया अटकी हुई हैं. अब जब केबिनेट का 58 प्रतिशत आरक्षण पर आगे बढ़ने का फैसला हुआ है तो रास्ता खुलता नजर आ रहा है. वहीं अब प्रवेश की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी.
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