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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चिटफंड कंपनियों में डूबे ढाई करोड़ वापस कराए, दुर्ग के निवेशकों के चेहरे पर आई मुस्कान

 Newsbaji  |  Feb 06, 2023 04:25 PM  | 
Last Updated : Feb 06, 2023 04:25 PM
दुर्ग जिले के निवेशकों को मिली चिटफंड कंपनियों में डूबी रकम.
दुर्ग जिले के निवेशकों को मिली चिटफंड कंपनियों में डूबी रकम.

रायपुर. दुर्ग जिले के उन तीन हजार 274 निवेशकों के चेहरे सोमवार को उस वक्त खिल गए जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चिटफंड कंपनियों में डूबे उनके कुल दो करोड़ 56 लाख रुपये को उनके खाते में जमा कराया. कुछ साल पहले तक इन निवेशकों ने अपनी गाढ़ी कमाई लुटाने के बाद उम्मीद ही छोड़ दी थी कि उन्हें ये रकम वापस मिलेगी. दरअसल, इन कंपनियों के संचालकों का फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद ये फरार हो गए थे. ऐसे सरकार उनकी प्रदेश में मौजूद चल-अचल संपत्ति को जब्त कर उनकी बिक्री कर निवेशकों को रकम लौटा रही है. इसी कड़ी में इस बार दुर्ग जिले के निवेशकों की रकम वापसी की गई.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सोमवार को अपने निवास से वर्चुअल कार्यक्रम में शामिल हुए और निवेशकों को राशि लौटाई . सोमवार को हुए इस कार्यक्रम में जहां दुर्ग जिले के तीन हजार 274 निवेशकों को दो करोड़ 56 लाख रुपये दिलाए गए, तो वहीं मुख्यमंत्री ने अपनी बातें भी रखी. उन्होंने बताया कि अब तक कुल 40 करोड़ रुपये निवेशकों को प्रदेशभर में लौटाया जा चुका है. जबकि दुर्ग में अब तक ठगी करने वाले चिटफंड कंपनियों के 126 डायरेक्टर और आठ पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है.

आपको बता दें कि करीब पांच से सात साल पहले तक चिटफंड कंपनियों की यहां बाढ़ आ गई थी. इन कंपनियाें ने निवेशकों से अपने एजेंटों के माध्यम से यह दावा कर रकम जमा कराए कि इसका उपयोग वे उत्पादक कार्यों में करती हैं. उनकी बातों में आकर  उन्होंने राशि मासिक, त्रैमासिक या एकमुश्त निवेश करते रहे, इस उम्मीद में कि एक निश्चित अवधि के बाद उन्हें दोगुना या उससे ज्यादा वापस मिल जाएगी. बाद में कंपनियों का फर्जीवाड़ा सामने आया और उनके डायरेक्टर्स फरार हो गए.

निवेशकों को ऐसे जगी उम्मीद
कांग्रेस की प्रदेश में सत्ता में वापसी का एक बड़ा कारण निवेशकों के बीच विश्वास कायम करना भी था. दरअसल उन्होंने अपने घोषणा-पत्र में ये वादा किया था कि यदि पार्टी सरकार में आती है तो चिटफंड कंपनियों में डूबी राशि को निवेशकों को वापस दिलाएंगे. सरकार बनने के बाद रकम वापसी की प्रक्रिया आगे बढ़ी. इसी कड़ी में कंपनियों द्वारा खरीदी गई चल-अचल संपत्तियों को जब्त किया गया. राज्य सरकार इन्हें ही बेचकर निवेशकों को उनकी डूबी राशि लौटा रही है.

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