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छत्तीसगढ़ पुलिस का हाई अलर्ट, नक्सली मना रहे है शहीदी सप्ताह, 28 जुलाई से 3 अगस्त तक रहेगा

 Newsbaji  |  Jul 31, 2022 07:27 PM  | 
Last Updated : Jan 06, 2023 10:19 AM

रायपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सली प्रभावित क्षेत्रों में माओवादी इन दिनों शहीदी सप्ताह मना रहे हैं। इसको देखते हुए राजनांदगांव व अन्य नक्सल प्रभावित पुलिस बल के जवान हाई अलर्ट हो गए है और क्षेत्र में सर्चिग तेज कर दी है। शहीदी सप्ताह के अंतर्गत नक्सली बड़ी घटना को अंजाम देने की फिराक मे रहते हैं। राज्य में नक्सलियों ने 28 जुलाई से 03 अगस्त तक नक्सली सप्ताह मनाने का ऐलान किया है। इस दौरान उन्होंने प्रदेश के कई जिलों में जगह-जगह नक्सली पर्चे फेंक कर लोगों से इस सप्ताह को सफल बनाने की अपील भी की है।

जानकारी के अनुसार, नक्सल प्रभावित राजनांदगांव और बस्तर संभाग के जिलों के अलावा बैस कैम्प सहित बॉर्डर पार के थानों से भी नक्सल मूवमेंट का इनपुट लिया जा रहा है। शहीदी सप्ताह को देखते हुए पुलिस अधीक्षक राजनांदगांव प्रफुल्ल ठाकुर ने नक्सल प्रभावित क्षेत्र के थाना और चौकी प्रभारियों की बैठक ली है। इसमें उन्होंने जवानों से एंटी नक्सल ऑपरेशन के अफसरों से समन्वय बना कर काम करने को कहा गया है।

शहीदी सप्ताह
दरअसल, नक्सली हर साल 28 जुलाई से 03 अगस्त तक अपने मारे गए साथियों की याद में शहीदी सप्ताह मनाते हैं। इस दौरान नक्सली बड़ी वारदात को अंजाम देने के फिराक में रहते हैं। यही वजह है कि पुलिस भी इस समय अलर्ट मोड पर आ जाती है। प्रदेश के नक्सल प्रभावित 14 जिलों में अलर्ट जारी किया जाता है और जवानों को विशेष नजर रखने के निर्देश दिए जाते है।

वहीं, छत्तीसगढ़ सरकार का दावा है कि नक्सल समस्या के समाधान के लिए बड़े कदम उठाए जा रहे है। सरकार ने इस समस्या को लेकर जो फैसले किए उसकी वजह से बस्तर संभाग के अंतर्गत नक्सली संगठन की गतिविधियां दक्षिण बीजापुर, दक्षिण सुकमा, इंद्रावती नेशनल पार्क, अबूझमाड़ और कोयलीबेड़ा क्षेत्र के चंद वर्ग किलोमीटर तक सीमित हो गई हैं। इन गतिविधियों के सीमित होने की वजह से नक्सलियों के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई है और उनमें बौखलाहट है।

छत्तीसगढ़ शासन का मानना है कि, बस्तर संभाग के अंतर्गत साल 2019 से पहले नक्सल प्रभावित गांवों की संख्या 2710 थी, इनमें से पिछले 48 महीनों में 589 गांव नक्सलियों से मुक्त हुए है। बस्तर संभाग के अंदर नक्सल विरोधी अभियान चलाए गए। इलाके की जनता की मांग पर विकास कार्यों के लिए 48 महीनों में 43 नए सुरक्षा कैंप/थाना स्थापित किए गए है। नक्सल प्रभावित दूरस्त क्षेत्रों में विकास होने की वजह से लोग अपने अधिकारियों के प्रति जागरुक हो रहे है।

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