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...तो छत्तीसगढ़ में मेयर, नपा व नपं अध्यक्ष की जगह अफसर संभालेंगे कामकाज, ये सामने आई वजह

 Newsbaji  |  Nov 13, 2024 01:39 PM  | 
Last Updated : Nov 13, 2024 01:39 PM
निकाय चुनाव में देरी के चलते चर्चा तेज.
निकाय चुनाव में देरी के चलते चर्चा तेज.

रायपुर. छत्तीसगढ़ में जनप्रतिनिधियों द्वारा संचालित नगर निगमों, नगर पालिकाओं व नगर पंचायतों में बहुत जल्द अफसर बैठने वाले हैं. जी हां, नगरीय निकायों में उनके मार्गदर्शन में ही कामकाज होगा, जो क‍ि प्रशासक के रूप में ये भूमिका निभाएंगे. दरअसल, निकाय चुनाव में विलंब के चलते यह समय पर पूरा नहीं होने वाला. जबकि जनवरी 2025 के पहले सप्ताह में सभी मेयर व नपा और नपं अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा हो जाएगा.

बता दें कि छत्तीसगढ़ में पिछले नगरीय निकाय चुनाव वर्ष 2019 में आयोजित किए गए थे. तब राज्य चुनाव आयोग ने 15 नवंबर को चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की थी, और दिसंबर के अंत तक परिणाम घोषित कर दिए गए थे. इस बार भी नवंबर के पहले सप्ताह में चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की उम्मीद थी, लेकिन जाति सर्वेक्षण, वार्डों के आरक्षण और परिसीमन जैसी प्रक्रियाओं में विलंब होने के कारण चुनाव की घोषणा में देरी हो रही है.

इस वजह से हो रही देरी
निकाय चुनावों में देरी की दो मुख्य वजहें बताई जा रही हैं. पहली, राज्य सरकार पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों को एक साथ कराने का विचार कर रही है, जिससे समय-समय पर अलग-अलग चुनाव कराने की जटिलता कम होगी. दूसरी वजह मतदाता सूची में नाम जोड़ने के नए नियम हैं, जिसके कारण मतदाता सूची के निर्माण में समय अधिक लग रहा है. ये दोनों कारण चुनाव की घोषणा को आगे बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं.

मतदाता सूची में नए नियमों से भी विलंब
राज्य सरकार ने हाल ही में मतदाता सूची में नाम जोड़ने के नियमों में कुछ महत्वपूर्ण संशोधन किए हैं. इन संशोधनों के तहत अब ऐसे युवा जो 1 अक्टूबर 2024 को 18 वर्ष की आयु पूरी करेंगे, उन्हें भी मतदान का अधिकार दिया जाएगा. इस संशोधन के कारण मतदाता सूची में नए नाम जोड़ने का काम लंबा खिंच गया है, जिसके चलते मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन अब 11 दिसंबर 2023 को किया जाएगा. इस प्रक्रिया की वजह से चुनाव कार्यक्रमों की घोषणा में अतिरिक्त देरी हो रही है.

अब दिख रही ये संभावना
चुनाव में हो रहे विलंब के मद्देनजर यह संभावना जताई जा रही है कि जनवरी से राज्य के नगरीय निकायों की जिम्मेदारी निर्वाचित परिषद के स्थान पर प्रशासकों को सौंप दी जाएगी. ये प्रशासक चुनाव तक नगरीय निकायों का संचालन करेंगे और आवश्यक प्रशासनिक कार्यों को देखेंगे. चुनाव आयोग और राज्य सरकार द्वारा आगे की रणनीति और चुनाव कार्यक्रमों के लिए यह एक अस्थायी समाधान हो सकता है.

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