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छत्तीसगढ़ में असम से वनभैंसा लाने गई वन विभाग की टीम, इधर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने लाने पर लगा दी रोक, ये है कारण

 Newsbaji  |  Mar 22, 2023 05:50 PM  | 
Last Updated : Mar 22, 2023 05:50 PM
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने वन विभाग को असम से वनभैंसा लाने पर फिलहाल के लिए रोक लगा दी है.
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने वन विभाग को असम से वनभैंसा लाने पर फिलहाल के लिए रोक लगा दी है.

बिलासपुर. Chhattisgarh Highcourt News: छत्तीसगढ़ के वनभैसों और असम के वनभैसों की मिक्स प्रजाति विकसित कर वंशवृद्धि कराने की योजना बना रहे वन विभाग को बड़ा झटका लगा है. यहां से विभाग की टीम वनभैंसा लेने असम चली गई है. इधर, इसके खिलाफ छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई और कोर्ट ने अगले आदेश तक फिलहाल के लिए असम से वनभैंसा लाने पर रोक लगा दी है.

बता दें कि वन विभाग ने तीन साल पहले अप्रैल 2020 में असम के मानस टाइगर रिजर्व से एक नर व एक मादा सब एडल्ट को पकड़कर बारनवापारा अभयारण्य में 25 एकड़ के बाड़े में रखा हुआ है. विभाग द्वारा उन्हें आजीवन रखा जाना है. योजना ये है कि इन वन भैंसों को बाड़े में रखकर उनसे प्रजनन कराया जाए. इसके विरोध में रायपुर के नितिन सिंघवी ने जनहित याचिका दायर की है, जो कि लंबित है.

इसलिए दायर की याचिका
अपनी याचिका में सिंघवी ने कहा है कि वन भैसा वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम के शेड्यूल 1 का वन्य प्राणी है. विश्व में छत्तीसगढ़ के वनभैंसों का जीनपूल शुद्धतम है. ऐसे में असम के वन भैंसा और छत्तीसगढ़ के वन भैंसा जीन को मिक्स करने से छत्तीसगढ़ के वन भैसों की जीन पूल की विशेषता बरकरार नहीं रह सकेगी. बता दें कि याचिका के लंबित रहने के दौरान चार और मादा वन भैंसा लाने के लिए छत्तीसगढ़ वन विभाग ने टीम असम भेज दी है. इसी पर रोक लगाई गई है. जबकि भारतीय वन्यजीव संस्थान भी दो बार आपत्ति दर्ज कर चुका है. छत्तीसगढ़ और असम के वन भैंसा के जीन को मिक्स करने से छत्तीसगढ़ के वन भैसों की जीन पूल की विशेषता बरकरार नहीं रखी जा सकेगी.

ये अंतर है दोनों वनभैंसों की प्रजाति में
वन विभाग ने जो योजना बनाई है उसके मुताबिक असम से मादा वन भैंसा लाकर, उदंती के नर वनभैसों से नई जीन पूल तैयार करवाएंगे. जबकि असम के वन भैंसा दलदली इलाके में, तराई के नीचे के जंगलों में, अमूमन साल भर सामान्य और कम तापमान में रहते हैं. जबकि छत्तीसगढ़ के वन भैसें कठोर भूमि पर और अत्यधिक गर्मी में रहते हैं. बता दें कि इन्हीं सब कारणों से एनटीसीए ने सैद्धांतिक सहमति देते समय असम वन विभाग को कहा था कि वन भैसों को छत्तीसगढ़ के बारनवापारा अभ्यारण में भेजने के पूर्व इको सूटेबिलिटी रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए. बाद में एनटीसीए ने असम वन विभाग को याद भी दिलाया कि वन भैसों के संबंध में इको सूटेबिलिटी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई है.

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