बिलासपुर. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट द्वारा राजभवन सचिवालय को जारी नोटिस पर रोक लगा दी है. इस मामले में राजभवन की याचिका पर एक दिन पहले गुरुवार को ही फैसला सुरक्षित रख लिया गया था और शुक्रवार को फैसला सुनाया गया है. राजभवन की याचिका पर कहा गया था कि राष्ट्रपति और राज्यपाल को हाईकोर्ट द्वारा किसी मामले में पक्षकार नहीं बनाया जा सकता और न ही नोटिस जारी की जा सकती है.
मामले की शुरुआत राज्य शासन व एक अधिवक्ता द्वारा हाईकोर्ट में दायर की गई दो अलग-अलग याचिकाओं से हुई थी. इसमें कहा गया कि विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद राज्यपाल सिर्फ सहमति या असमति दे सकते हैं. वहीं बिना किसी वजह के बिल को इस तरह से लंबे समय तक रोका नहीं जा सकता. आपको बता दें कि राज्य सरकार ने दो महीने पहले विधानसभा के विशेष सत्र में राज्य में विभिन्न वर्गों के आरक्षण को बढ़ा दिया था.
याचिका को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने राजभवन के सचिवालय को नोटिस जारी कर दिया था. फिर गुरुवार को राज्यपाल सचिवालय ने एक आवेदन पेश कर हाईकोर्ट के नोटिस को चुनौती दी थी. इसमें कहा गया था कि संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत किसी भी प्रकरण में राष्ट्रपति या राज्यपाल को पक्षकार नहीं बनाया जा सकता. इसी दिन अंतरिम राहत पर बहस के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. प्रकरण में हाईकोर्ट के नोटिस पर रोक लगाने की मांग की गई थी. इसके एक दिन बाद शुक्रवार को फैसला भी आ गया.
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