रायपुर. छत्तीसगढ़ में होने जा रहे लोकसभा चुनाव के लिए समस्याएं भी कम नहीं हैं. बस्तर व कांकेर से लेकर राजनांदगांव के कई इलाकों के पोलिंग बूथ नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हैं. इसके अलावा भी कई चुनौतियां हैं. मतलब साफ है कि यहां अतिरिक्त फोर्स की भी व्यवस्था करनी पड़ेगी. मतदाताओं को यहां लाना भी बड़ा चैलेंज होगा. जबकि कुछ इलाके तो ऐसे भी हैं, जहां मोबाइल नेटवर्क का कवरेज शून्य है. ये एक अलग तरह की समस्या है, सुरक्षा के लिहाज से भी और प्रशासनिक व्यवस्था के लिहाज से भी.
लोकसभा चुनाव का शेड्यूल जारी होने से पहले ही छत्तीसगढ़ की सभी 11 सीटों के पोलिंग बूथों को लेकर व्यवस्थाएं जुटाई जा रही थीं. साथ ही उनकी भौगोलिक और व्यवस्थागत व सुरक्षा की दृष्टि से स्थिति के मुताबिक आंकडे़ भी जुटाए गए हैं. इन सबकी जानकारी राज्य निर्वाचन पदाधिकारी रीना बाबा साहब कंगाले ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सार्वजनिक की. इसके तहत प्रदेश के 109 पोलिंग बूथों को असुरक्षित माना गया है. वहीं 1726 संवेदनशील की श्रेणी में है.
यहां बड़ी रहेगी परेशानी
सुरक्षा के साथ नेटवर्क का होना भी मतदान के लिए बेहद जरूरी है ताकि सूचनाओं का आदान-प्रदान हो सके और आपात स्थिति में अतिरिक्त सुविधाएं व सुरक्षा मुहैया कराई जा सके. वहीं प्रदेश में 518 ऐसे मतदान केंद्र है, जहां मोबाइल या इंटरनेट का कवरेज बिल्कुल भी नहीं है. यह यहां बड़ी समस्या है.
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