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CG Liquor Scam: आबकारी विभाग के ऑडिट के लिए शुभचिंतक सीए को दी जिम्मेदारी, टेंडर में ऐसे निकाला लूप होल

 Newsbaji  |  May 17, 2023 02:41 PM  | 
Last Updated : May 17, 2023 02:41 PM
आबकारी विभाग में गड़बड़ियों का हर दिन कुछ न कुछ नया मामला खुल रहा है.
आबकारी विभाग में गड़बड़ियों का हर दिन कुछ न कुछ नया मामला खुल रहा है.

रायपुर. CG Liquor Scam: छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाले का मामला सामने आने के बाद कटघरे में खड़े आबकारी विभाग के कई दागदार अफसरों की कई गड़बड़ियों का भी एक के बाद एक पता चल रहा है. सरकारी विभागों में गड़बड़ी करने वाले अफसर सरकारी कामों में लाभ पहुंचाने के लिए चहेतों को ठेका द‍िलाते हैं. यहां उनके काले कारनामों को ढंकना था, जिसके लिए शुभचिंतक सीए की जरूरत थी. बताया ा रहा है कि टेंडर दो बार निकाला गया लेकिन, उसमें भी लूपहोल निकालकर ऐसे ही दो शुभचिंतक सीए को जिम्मेदारी दी गई थी.

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आबकारी विभाग में कुछ जिम्मेदार अफसरों ने कई अलग-अलग स्तर पर गड़बड़ियों को अंजाम दिया था. ऑडिट करने वाला फर्म स्वतंत्र रूप से काम करता तो इनके उजागर होने का खतरा था. ऐसे में ये जिम्मेदारी अपने लोगों को देने के लिए कई पैतरे आजमाए गए. इनमें वे सफल भी रहे. उन्हीं में से ये एक मामला है, जिसकी जानकारी अब निकलकर सामने आ रही है.

ऐसे समझें प्रक्रिया को
आबकारी विभाग के लिए बनाए गए नियमों के मुताबिक कामकाज की ऑडिट दो स्तरों पर की जाती है. एक राज्य स्तर पर होता है जिसमें लेनदेन, आवक-जावक, खरीदी-बिक्री, आय-व्यय, लेनदारी-देनदारी आदि की जांच दस्तावेजों के आधार पर किया जाता है. दूसरा, जिला स्तर पर किया जाता है. जिस फर्म को ये जिम्मेदारी दी जाती है वह सभी जिलों के आय-व्यय की जांच कर रिपोर्ट पेश करता है. यहां जिलों के ऑडिट के लिए जिन दो फर्मों का चयन किया गया है, सवाल उन्हीं पर और उनके चयन के तरीके पर उठ रहा है.

ऐसे की गड़बड़ी
सूत्रों के अनुसार, इसके लिए दो बार टेंडर जारी किया गया. दोनों मौकों पर संबंधित अफसर को ज‍िन दो सीए के फर्म को जिम्मेदारी देनी थी, उनका चयन नहीं हो पाया. हर बार टेंडर को अलग-अलग कारणों का हवाला देकर निरस्त कर दिया गया. इसके बाद बिना टेंडर प्रक्रिया के ही उन दोनों फर्मों को ये जिम्मेदारी दे दी गई.

भिलाई के हैं दोनों सीए, निजी जिम्मेदारी भी संभालते रहे
बताया जा रहा है कि दोनों सीए फर्म भिलाई के हैं. ये दोनों ही जिला स्तर पर आबकारी विभाग का ऑडिट करते रहे. इन पर सवाल इसलिए और ज्यादा उठ रहा है, क्योंकि आबकारी विभाग के एक प्रभावशाली अफसर और जो अभी ईडी के रडार पर भी है, उसका निजी काम भी ये दोनों संभाल रहे थे. यानी अफसर के काले-सफेद पैसों का हिसाब-किताब और जांच एजेंसियों से बचने के पैतरे बताने वाले भी ये दोनों सीए थे.

झारखंड सरकार को भी समझाने गए थे गणित
छत्तीसगढ़ में शराब की बिक्री से लेकर मैनेजमेंट सरकार का आबकारी विभाग ही संभाल रहा है. जबकि अन्य राज्यों में ये ठेका पद्धति से संचालित होता है. यहां हो रही बेहिसाब कमाई को देख झारखंड की सोरेन सरकार भी खासा प्रभावित हुई है. लिहाजा वहां के आबकारी अफसरों को शराब नीति का पूरा खाका समझाने के लिए छत्तीसगढ़ से एक टीम झारखंड गई थी. बता दें कि उस टीम में भी ये दो सीए गए हुए थे. इससे उनके प्रभाव का भी अंदाजा लगाया जा सकता है.

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