रायपुर. छत्तीसगढ़ में इस साल गर्मी में बिजली रुला सकती है. आम लोगों को नहीं तो कम से कम बिजली कंपनी को, व्यवस्था जुटाने में. दरअसल, अभी फरवरी का महीना चल रहा है और खपत 5 हजार मेगावाट तक पहुंच गया है. हालांकि इसके पीछे कारण गर्मी की फसल लेने को बताया जा रहा है. लेकिन अप्रैल-मई-जून की भीषण गर्मी के बीच खपत और बढ़ने वाली है, तब व्यवस्था जुटाना किसी चुनौती से कम नहीं होगा.
बता दें कि अभी गर्मी ने दस्तक ही दी है और पारा धीरे-धीरे ही सही आगे बढ़ने लगी है. इस बीच खपत 5000 मेगावाट के पार हो चुकी है. जबकि अभी छत्तीसगढ़ राज्य पावर उत्पादन कंपनी के संयंत्रों में इस समय 23 सौ मेगावाट का ही उत्पादन हो पा रहा है. लिहाजा बिजली आपूर्ति का बड़ा हिस्सा सेंट्रल पूल से जुूटाया जा रहा है.
गर्मी में खपत 6500 मेगावाट पहुंचने का अनुमान
बीते साल गर्मी में प्रदेश में बिजली की खपत बढ़कर 6200 मेगावाट तक पहुंच गई थी. वहीं इस साल अनुमान लगाया जा रहा है कि 6500 मेगावाट तक खपत पहुंच सकती है. विद्युत कंपनी भी अब इसी के लिहाज से व्यवस्था जुटाने की कवायद कर रही है, ताकि ऐन मौके पर किसी तरह की दिक्कत न हो.
कई प्लांटों में ताले
बता दें कि कोरबा में ही संचालित कई पुराने पावर प्लांट बीते कुछ सालों में डिस्मेंटल किए गए हैं. दरअसल ये काफी पुराने हो गए थे और काफी ज्यादा प्रदूषण फैला रहे थे. उनमें सुधार की गुंजाइश भी नहीं थी. तब एनजीटी यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की आपत्ति के बाद उन्हें डिस्मेंटल किया गया. अब तक उनकी जगह पर नए प्लांट शुरू नहीं हो पाए हैं. यही वजह है कि अब तक सरप्लस रहे प्रदेश को बिजली के लिए सेंट्रल पूल का सहारा लेना पड़ रहा है.
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