रायपुर. CG Election 2023 Result: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 के नतीजे भले चौंकाने वाले रहे लेकिन, कुछ ट्रेंड हैं जो बरकरार रहे. वहीं कुछ में ये परंपराएं टूटी भी हैं. मसलन, भिलाई में कभी विधायक या पार्टी रिपीट नहीं हुए थे. लेकिन, कांग्रेस के देवेंद्र यादव दूसरी बार बीजेपी के प्रेमप्रकाश पांडेय को शिकस्त देकर दोबारा विधायक बन गए हैं. इसी तरह के कुछ ट्रेंड टूटे हैं तो कई इस बार भी बरकरार रहे हैं.
साल 2018 के चुनाव में जिस तरह कांग्रेस ने एकतरफा जीत हासिल की थी, इस बार बीजेपी ने 90 में से 55 सीटें हासिल कर ली है. माना कि कई दिग्गजों की हार हुई है, लेकिन इन सबके बाद भी कई ऐसे दिग्गज बीजेपी लीडर भी हार गए जो ऐसे पद पर बैठे हुए थे, जिनके लिए परंपरा कह रही थी कि उन्हें हारना होगा.
मिथक टूटने के बाद फिर हार गए चंदेल
एक परंपरा छत्तीसगढ़ के चुनाव में ये रही है कि यहां नेता प्रतिपक्ष हमेशा अपना चुनाव हार जाते हैं. ये परंपरा डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने 2018 के चुनाव में तोड़ी थी. वे नेता प्रतिपक्ष रहते हुए भी चुनाव जीते थे. मिथक टूटने के बाद एक बार फिर पहले जैसा ही हुआ है, जब नारायण चंदेल अपनी सीट नहीं बचा सके हैं. उन्हें कांग्रेस के नए चेहरे व्यास कश्यप ने पटखनी दी है.
कोटा फिर नहीं भेद पाई बीजेपी
बिलासपुर जिले की कोटा सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है. हालांकि रेणु जोगी ने पहले कांग्रेस से और फिर 2018 में जकांछ से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. लेकिन, बीजेपी ने यहां कई प्रयास किए हैं. इस बार जशपुर से प्रबल प्रताप जूदेव पर दांव खेला. लेकिन, इस बार भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा. यहां कांग्रेस से अटल श्रीवास्तव ने जीत दर्ज की है.
भिलाई में टूटा मिथक
भिलाई विधानसभा सीट पर एक बार कांग्रेस तो एक बार बीजेपी का विधायक चुना जाता रहा है. इसी परंपरा को क्षेत्र के मतदाताओं ने 2018 के चुनाव में देवेंद्र यादव को अपना मत दिया और बीजेपी प्रत्याशी व पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय चुनाव हार गए थे. इस बार उम्मीद थी कि वे चुनाव जीतेंगे और परंपरा कायम रहेगी. लेकिन, इस बार मिथक टूट गया और देवेंद्र यादव एक बार फिर विधायक चुन लिए गए.
परंपरा टूटी तो मूंछ लगी दांव पर
रोचक मामला सरगुजा की सीतापुर सीट में सामने आई है. यहां कभी कांग्रेस के अलावा किसी पार्टी का विधायक नहीं बना था. यहां से विधायक मंत्री अमरजीत भगत कांग्रेस की जीत को लेकर इतने आश्वस्त थे कि चैलेंज कर बैठे थे. कहा था कि कांग्रेस की सरकार नहीं बनी तो अपनी मूंछ मुड़ा देंगे. आखिरकार न कांग्रेस की सरकार रिपीट हुई और न वे विधायक ही बन पाए. यही नहीं, यहां का मिथक भी टूट गया और अब उनकी मूंछ भी दांव पर लग गई है.
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