रायपुर. छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव 2023 का मतदान संपन्न हो चुका है. इसके साथ ही बीजेपी और कांग्रेस के दिग्गजों के बीच मंथन का दौर भी शुरू हो गया है. मौजूदा कांग्रेस सरकार की योजनाओं और बीजेपी के घोटालों के आरोपों से ज्यादा असरकारी उनकी घोषणाओं को माना जा रहा है. वादे कितने वोटों को उनके पक्ष में करने में सफल रहे, सरकार वापस आएगी या बीजेपी के सिर ताज सजेगा इस पर सस्पेंस बरकरार है और बीजेपी व कांग्रेसी के दिग्गज इसे ही सुलझाने की कवायद में जुट गई है.
बता दें कि प्रदेश की 90 विधानसभा सीटों के लिए पहले 7 नवंबर को 20 और फिर 17 नवंबर को शेष 70 सीटों के लिए मतदान हुआ. अब दोनों चरणों पर मतदान संपन्न होने के बाद मंथन का दौर शुरू हो गया है. आम जनता से लेकर राजनीति के जानकार ये पता लगाने और कयास में जुटे हैं कि ऊंट आखिर किस करवट ले रही है. दूसरी ओर, बीजेपी के दिग्गज सीधे दिल्ली रिपोर्ट भेजकर वहां समीक्षा की तैयारी में जुटे हैं.
संगठन के फीडबैक से लेकर एजेंसी तक की मदद
बताया जा रहा है कि शुक्रवार को एक ओर जहां दोनों ही दलों के पदाधिकारी से लेकर कार्यकर्ता तक मतदाताओं को प्रभावित करते हुए पोलिंग बूथों तक ले जाने की कवायद में जुटे थे तो वहीं एक धड़ा ये पता करने में भी लगा था कि रुझान किस ओर दिख रहा है. इस बीच कुछ निजी एजेंसियों की भी मदद ली जा रही है ताकि पहले ही आकलन किया जा सके कि सरकार किसकी बनने जा रही है.
इन 2 घोषणाओं पर ज्यादा चर्चा
माना जा रहा है कि इस चुनाव में वादे ही ज्यादा असरकारी रहे हैं. एक ओर जहां कांग्रेस ने कर्जमाफी समेत कई अन्य घोषणाएं की है तो वहीं बीजेपी ने महिलाओं को नकद भुगतान की योजना पेश की है. बीजेपी कर्जमाफी भले घोषित न की हो पर 2 साल का बकाया बोनस के रूप में एक अतिरिक्त चीज किसानों के समक्ष प्रस्तुत की है. दूसरी ओर, ऐन समय पर कांग्रेस ने भी महिलाओं के लिए नकद भुगतान बीजेपी की घोषणा के काट के रूप में रखा है. हालांकि बीजेपी का बकाया बोनस और कांग्रेस का महिलाओं को नकद भुगतान विशेष प्रभावी नहीं रहा. अब इन सभी बातों को लेकर मंथन जारी है. नतीजा तो 3 दिसंबर को ही आएगा, जिसका अब सभी को इंतजार रहेगा.
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