रायपुर. छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव 2023 की कवायद जारी है. पहले चरण की 20 सीटों पर मतदान के बाद दोनों दलों के दिग्गजों की नजर 17 नवंबर को शेष 70 सीटों पर होने वाले मतदान पर है. यहां विकास बनाम भ्रष्टाचार का आरोप है. किसान और धान के साथ कर्जमाफी पर कांग्रेस ने जहां एक कार्यकाल में ये दिखा दिया है. वोटर्स के लिए हाथ कंगन को आरसी क्या. दूसरी ओर, बीजेपी की घोषणाओं में विश्वास का संकट है. बस्तर की सभी सीटों पर काबिज कांग्रेस के हाथ से कुछ सीटें निकल तो नहीं रही.
यहां बीजेपी या कांग्रेस को नुकसान हो रहा हो तो उसकी भरपाई क्या शेष 70 सीटों से हो जाएगी. ऐसे तमाम सवालों से जूझ रहे पार्टी के दिग्गज कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. पीएम मोदी से लेकर अमित शाह तक, राहुल गांधी से लेकर प्रियंका गांधी तक. दूसरे चरण की सीटों के लिए एक के बाद एक दौरे पर आ रहे हैं. इन सबके बीच बड़ा सवाल यही है कि कैसे भी करके शेष 70 सीटों पर अपनी बात कैसे पहुंचाया जाए. इसे साधने में ही अलग-अलग ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल किया जा रहा है.
शाह की बातों में घपले-घोटाले
ठीक एक दिन पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जशपुर और फिर जांजगीर में चुनावी सभा को संबोधित किया. दोनों में ही उनके भाषण का फोकस प्रदेश में उजागर हुए घोटाले ही थे. साफ है कि विकास के मुद्दे पर आरोप लगाने का असर जनता पर पड़ने से रहा. गोबर खरीदी से लेकर समर्थन मूल्य में धान खरीदी व बोनस, शिक्षा और भर्ती पर बात उनके पक्ष में नहीं जाता दिख रहा है. हां, इनमें केंद्रीय एजेंसियों द्वारा उजागर किए गए कथित घोटाले के बरक्स जरूर उन्होंने अपनी बात रखी.
केंद्रीय मुद्दे, सनातन पर जोर
वोटों के ध्रुवीकरण को लेकर भी कवायद जारी है. अमित शाह ने सनातन को लेकर भी कहा कि सनातन मार्ग बनाएंगे. इस मौके पर धारा 370 हटाने जैसे केंद्रीय मुद्दे पर भी बात रखी. यानी मोदी सरकार की राष्ट्रवादी छवि और वोटों के ध्रुवीकरण और हिंदुत्व के मुद्दे भी सामने रखे जा रहे हैं.
घोटालों की काट ईडी को कटघरे में लाना
दूसरी ओर, कांग्रेसी इन्हीं भ्रष्टाचार के मुद्दों पर जवाब केंद्रीय एजेंसियों को घेरकर दे रहे हैं. सीएम भूपेश बघेल से लेकर डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव तक और सीएम के सलाहकार विनोद वर्मा तक ने ईडी को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी. इसमें विक्टिम कार्ड खेलने के साथ इस तरह से पेश कर रहे हैं कि बीजेपी ईडी की आड़ में ही सरकार को घेर रही है. विनोद वर्मा ने तो बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर बीजेपी प्रवक्ता को मानहानि का नोटिस भेजने की जानकारी दी.
व्यक्तिगत छवि पर भी काम
कांग्रेस से लेकर बीजेपी तक ने इस बार बड़ी संख्या में चेहरे बदले हैं. कई सीटिंग एमएलए के अलावा पराजित प्रत्याशियों को इस बार चुनाव मैदान में नहीं उतारा गया है. यानी कहा जा सकता है कि प्रत्याशियों के व्यक्तिगत चेहरे को लेकर भी दोनों दलों ने गंभीरता दिखाई है. इन सबके बाद भी ऐसा माना जा रहा है कि समीकरण पर असर हो सकता है. लिहाजा शेष 70 सीटों पर इस तरह की रणनीतियां लेकर दोनों दल आगे बढ़ रहे हैं. अब देखने वाली बात ये है कि इनका असर 17 नवंबर को कितना पड़ता है. नतीजा तो 3 दिसंबर को आ ही जाएगा.
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