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छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने केंद्रीय बजट पर कहा- राहत न रियायत, आम जनता की अपेक्षा के विपरीत और निराशाजनक

 Newsbaji  |  Feb 01, 2024 04:08 PM  | 
Last Updated : Feb 01, 2024 04:08 PM
केंद्रीय बजट पर पीसीसी चीफ दीपक बैज ने अपनी बात रखी है.
केंद्रीय बजट पर पीसीसी चीफ दीपक बैज ने अपनी बात रखी है.

रायपुर. केंद्रीय बजट 2024 पर छत्तीसगढ़ कांग्रेस की प्रतिक्रिया आई है. पीसीसी चीफ दीपक बैज के हवाले से कहा गया है कि पिछले 9 सालों की तरह इस साल का चुनावी बजट भी पूरी तरह से झूठे सपने, जुमले और झांसे का बजट साबित हुआ है, यथार्थ में आम जनता को किसी भी तरह की कोई राहत या वस्तावित रियायत नहीं दी गई है, फिर भी राजकोषीय घाटा अनियंत्रित है. मोदी 2.0 का यह अंतिम बजट देश की अर्थव्यवस्था को गर्त में ले जाने वाला बजट है, आयकर की दरों में राहत नहीं मिलने से म‍िडिल क्लास भी बेहद निराश है.

बैज ने आगे कहा है कि पुरानी झूठ को एक बार फिर से परोसा गया है कि 7 लाख तक आयकर में छूट रहेगी. जबकि हकीकत यह है कि पिछले बजट में ही नए टैक्स रिजीम के तहत केवल 7 लाख के भीतर आय वालों को टैक्स में छूट दी गई न क‍ि बेसिक एक्जंपप्शन लिमिट बढ़ाई गई है. नए टैक्स रिजिम में किसी भी तरह की कटौती का प्रावधान नहीं है.

असलियत यह है कि आयकर के लिए बेसिक एक्जंपप्शन लिमिट आज भी ढाई लाख ही है पिछले 10 साल से 1 रूपए भी नहीं बढ़ाया गया है बेसिक एक्जंपप्शन लिमिट और टैक्स रिबेट में अंतर है, टैक्स रिबेट का लाभ है लिमिट क्रॉस होने पर खत्म हो जाती है जबकि बेसिक एक्जंपप्शन लिमिट बढ़ाये जाने का लाभ प्रत्येक करदाता को मिलता.

एमएसपी की गारंटी न फूड सब्सिडी
मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में जनकल्याणकारी योजनाएं नहीं है खाद सब्सिडी, फूड सब्सिडी, मनरेगा, एमएसपी की गारंटी, स्वामीनाथन कमेटी के अनुसार एमएसपी और सामाजिक सुरक्षा के मद में कोई विशेष प्रावधान नहीं है. अंतरिम बजट आगामी 3 माह के लिए है लेकिन लफ्फाजी आने वाले 5 सालों के लिए कहा गया है कि आगामी 5 वर्षों में 2 करोड़ घर बना कर देंगे? मंहगाई, बेरोजगारी और बढ़ती आर्थिक असमानता से निपटने का कोई रोडमैप नहीं है.

पेट्रोलियम उत्पादों के जरिए जेबों पर डाका
मोदी सरकार में आम जनता का खून चूस कर 10 साल में टैक्स कलेक्शन 3 गुना बढ़ गया है. डीजल पर सेंट्रल एक्साइज 2014 में मात्र 3 रुपये 54 पैसा प्रति लीटर था, जो वर्तमान में 19 रुपये 90 पैसा है, अर्थात लगभग 6 गुना अधिक. केंद्र की मोदी सरकार ने केवल पेट्रोलियम उत्पाद से ही पिछले 9 साल में 36 लाख करोड़ से अधिक की डकैती आम जनता के जेब पर की है, 30 बड़े सार्वजनिक उपक्रम बेच दिए फिर भी देश पर कुल कर्ज का भार 54 लाख करोड़ से बढ़कर 105 लाख करोड़ हो गया. इस बजट में डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस सिलेंडर पर कोई राहत देने का इरादा मोदी सरकार का नहीं है.

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