मुकेश चंद्राकर/बीजापुर. हाल के दिनों में बाघ के शिकार और तस्करी को लेकर सुर्खियों में रहे बीजापुर स्थित इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान के पामेड़ अभयारण्य में चारागाह विकास के नाम पर बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा का खुलासा हुआ है. मामले में चौंकाने वाला तथ्य यह है कि फर्जीवाड़े को विभाग के ही जिम्मेदार कुछ अफसर-कर्मियों ने मिलकर अंजाम दिया और कैम्पा मद की एक बड़ी राशि डकार ली.
विभाग द्वारा सूचना के अधिकार के तहत प्रदत्त जानकारी ने ही पूरे मामले की पोल खोलकर रख दी है. भ्रष्टाचार की मंशा को मुकम्मल करने जिम्मेदारों ने फर्जी मस्टररोल तैयार कर करीब 3 लाख 31 हजार 284 रुपए का आहरण कर लिया. जबकि मस्टररोल में जिन मजदूरों के नाम दर्ज है, तफ्तीश में सभी फर्जी पाए गए.
मामले की तह तक जाने सबसे पहले विभाग में सूचना के अधिकार के तहत आवेदन दाखिल किया गया था. जिसे संज्ञान में लेते विभाग की तरफ से कार्य से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध करवाए गए थे. इसमें पामेड़ अभ्यारण्य अंतर्गत धरमाराम परिक्षेत्र के भट्टीगुड़ा के कक्ष क्रमांक 848, सहायक परिक्षेत्र कंवरगट्टा और कंचाल कक्ष क्रमांक 865 में वर्ष 2020 में कार्य होना बताया गया.
कैम्पा मद से होना था काम
इसके लिए 3 लाख 31 हजार 769 रूपए की राशि कैम्पा मद से वर्ष 2019 में स्वीकृत की गई थी. इसके तहत कई हेक्टेयर भूभाग पर बीज बोआई, पाटा चलाई, सीबीओ, क्षेत्र सफाई, लेन्टाना, यूपेटोरियम, वनतुलसा व अन्य बीड़ उन्मूलन, अखाद्यय घास , कड़ी मिट्टी में चेकडेम निर्माण आदि कार्य शामिल थे.
बाउचर से लेकर श्रमिकों की सूची में फर्जीवाड़ा
प्रतिदिन 295 रूपए प्रति मजदूर भुगतान की दर से काम कराया जाना था, लेकिन रेंज के ही जिम्मेदार अफसर-कर्मचारियों ने चारागाह विकास के तहत जितने कार्य होने थे, उन्हें कराए बिना फर्जी बाउचर और इंक्लोजर लेटर(मस्टररोल) तैयार कर राशि आहरित कर ली गई. कैम्पा मद से स्वीकृत इस काम को माह भर में पूर्ण कराना बताया गया है, जबकि स्थानीय ग्रामीण वर्ष 2020 में संबंधित कक्ष क्रमांक में कोई काम ना होने की बात कह रहे हैं.
भनक तक लगने नहीं दी, पैसे डकार लिए
वहीं बाउचर में परिसर रक्षक, सहायक परिक्षेत्र अधिकारी, परिक्षेत्र अधिकारी धरमाराम और अधीक्षक पामेड़ अभयारण्य द्वारा हस्ताक्षर कर भौतिक सत्यापन दर्शाया गया है. लेकिन मिल रही शिकायतों की तस्दीक की गई तो ग्रामीणों के कथन और मौका स्थल के निरीक्षण में कोई काम ना होने की बात सामने आई है. कोंडापल्ली सरपंच मनीष यासम का आरोप हैं कि अधीक्षक, रेंजर और डिप्टी रेंजर ने मिलीभगत कर राशि आहरित कर ली और उन्हें भनक तक नहीं लगी.
सूची में जिन मजदूरों के नाम दर्शाए गए हैं, उनका भी वास्ता इस काम से नहीं था. जब ग्रामीण और मजदूर ही काम होने से साफ इंकार कर रहे हैं तो इससे साफ जाहिर है कि पामेड़ अभ्यारण्य अंतर्गत वर्ष 2020 में चारागाह विकास के नाम पर अफसर-कर्मियों ने विभाग को अंधेरे में रखकर कैम्पा मद की बंदरबाट कर ली थी.
बड़ा सवाल, कार्रवाई कब तक
बहरहाल मामला उजागर होने के बाद विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. जानकारी मिली है कि भ्रष्टाचार के सूत्रधार अधीक्षक को विभाग द्वारा दूसरे रेंज में स्थांनातरित कर दिया गया है. हालांकि भ्रष्टाचार को लेकर विभाग की चुप्पी के खिलाफ अब पंचायत ने ही मोर्चा खोलने का मन बना लिया है. तो देखना होगा कि इस पर विभाग की नींद कब टूटेगी और भ्रष्टाचार को अंजाम देने वाले अधीक्षक, परिक्षेत्र अधिकारी , परिसर रक्षक पर कार्रवाई होगी तो आखिर कब तक?
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