रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा से ठीक 14 महीने पहले भाजपा ने नेता प्रतिपक्ष को बदल दिया है। धरमलाल कौशिक की जगह पर नारायण चंदेल को बनाया गया। भाजपा विधायक दल की बैठक में बुधवार को प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी ने उनके नाम का ऐलान किया। बताया जा रहा है कि संगठन के और भी शीर्ष चेहरों को बदला जा सकता है। साल 2023 के चुनावों में भाजपा एक नई टीम खड़ी कर सकती है। इस बैठक में प्रदेश के सह प्रभारी नितिन नवीन और संगठन के महामंत्री अजय जामवाल भी शामिल हुए।
पिछड़ा वर्ग पर दांव
जानकारी के अनुसार, नारायण चंदेल का नाम राष्ट्रीय संगठन के नेताओं के साथ चर्चा के बाद तय किया गया है। भाजपा की इसे जातिगत समीकरण साधने की कोशिश माना जा रहा है। सांसद अरुण साव को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद नारायण चंदेल को नेता प्रतिपक्ष बनाकर पिछड़ा वर्ग के चेहरे पर दांव खेला है। इससे पहले नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में नारायण चंदेल सहित अजय चंद्राकर, बृजमोहन अग्रवाल समेत अन्य नेता शामिल थे।
प्रदेश में सत्ता की चाबी ओबीसी के हाथ
छत्तीसगढ़ के वोटरों का बड़ा वर्ग ओबीसी समुदाय से ताल्लुक रखता है। पिछले विधानसभा चुनावों में इस वर्ग ने कांग्रेस पर भरोसा जताया था। कांग्रेस में शीर्ष नेताओं में भी कई ऐसे ओबीसी नेता है जो रिकॉर्ड मतों से जीते। इसी फार्मूले को समझते हुए भाजपा ने 5 दिन पहले ही नया प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी वर्ग से चुना और अब नेता प्रतिपक्ष को नेतृत्व सौंपा है।
क्या नेता प्रतिपक्ष CM की रेस में होगा आगे?
भारतीय जनता पार्टी में कभी भी कुछ भी हो सकता है, यहां कई बार अलग ही समीकरण फिट बैठता है। मगर नेता प्रतिपक्ष को लेकर माना जा रहा है कि जिसे भी जिम्मा मिलेगा सियासी तौर पर उसका पडला भारी रहेगा। क्योंकि आगामी चुनावों में प्रदेश में भाजपा की स्थिति बेहतर करने में उसका अहम योगदान होगा और बहुत मुमकिन है कि अगर भाजपा को जीत इसी समीकरण के बल मिली तो उसे मुख्यमंत्री की रेस में सबसे बड़ा दावेदार माना जाएगा।
नारायण चंदेल का राजनीतिक सफर
नारायण चंदेल जांजगीर-चांपा से विधायक हैं। उनका जन्म 19 अप्रैल 1965 में हुआ था। उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन 1980 से शुरू हुआ था। 1980 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के विभिन्न पदों पर 4 वर्षों तक रहने के दौरान उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई थी। जिसके बाद उन्हें 1984 से 86 तक जांजगीर नगर मंडल का अध्यक्ष बनाया गया। इस बीच में अविभाजित बिलासपुर जिला के भाजपा के संगठन में जिला कार्यसमिति के सदस्य के रुप में दायित्व दिया गया था।
1986 से 1988 तक जांजगीर नैला नगर भाजपा उपाध्यक्ष, 1988 से 1990 तक बिलासपुर जिला भाजयुमो जिला अध्यक्ष, 1991 से 1993 तक बिलासपुर भाजपा जिला महामंत्री और मध्य प्रदेश भाजयुमो के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य, 1994 से 1996 मध्य प्रदेश भाजयुमो के प्रदेश मंत्री, 1997 से 1999 मध्य प्रदेश भाजयुमो के प्रदेश उपाध्यक्ष पद पर उन्होंने काम किया। यही वजह है कि पार्टी ने 1998 में चांपा विधानसभा से चुनाव लड़ाया था। 1998 के विधानसभा चुनाव में ही उन्होंने जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2008 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने चुनाव जीता। 2018 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने फिर से जीत हासिल की। साथ ही वह प्रदेश महामंत्री भी है।
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