मुकेश चन्द्राकर/बीजापुर. छत्तीसगढ़ के बीजापुर में साल 2015 में हुई पंचायत सचिव भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं की शिकायतों के बाद जांच के आदेश दिए गये थे. कलेक्टर व जिला पंचायत सीईओ द्वारा जारी किए गए दो अलग-अलग जांच आदेश के बाद जिला पंचायत सीईओ द्वारा जारी किए गए जांच आदेश की रिपोर्ट आ चुकी है.
जांच प्रतिवेदन में स्पष्ट उल्लेखित है कि पंचायत सचिव भर्ती प्रक्रिया में कुछ अभ्यर्थियों को लाभ पहुंचाने की मंशा से चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं अपनाई गई. बहुत सी गडबड़ियां व त्रुटियां जानबूझकर की गईं. डेढ़ माह पहले आई इस जांच रिपोर्ट पर प्रशासन ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है.
दो अलग अलग जांच आदेश, एक की रिपोर्ट पेश
आठ साल पहले पंचायत सचिव भर्ती प्रक्रिया में हुई अनियमितताओं की शिकायतों के बाद जिले के कलेक्टर राजेन्द्र कुमार कटारा और जिला पंचायत सी.ई.ओ. रवि कुमार साहू द्वारा 2 अलग अलग जांच कमेटियां गठित की गई थीं. बता दें कि जिले के कलेक्टर से क्रमशः 2 सितंबर 2022, 16 नवंबर 2022, 29 दिसम्बर 2022 व 17 फरवरी 2023 को चार अलग अलग तारीख और मौकों पर चयन प्रक्रिया में हुई गड़बड़ियों की शिकायतें की जा चुकी है.
बस्तर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष व विधायक विक्रम शाह मंडावी ने भी जिले के कलेक्टर को 9 जनवरी 2023 को एक पत्र लिखकर मिल रही शिकायतों के आधार पर जांच करने का निवेदन किया है. साथ ही पंचायत सचिव भर्ती प्रक्रिया में हुई अनियमितताओं की जांच हेतु जिला पंचायत सीईओ से 5 बार लिखित शिकायतें की जा चुकी हैं.
लगातार मिल रही शिकायतों के बाद कलेक्टर द्वारा दिसंबर 2022 व जिला पंचायत सीईओ द्वारा सितंबर 2022 को तीन-तीन सदस्यीय दो अलग अलग जांच दल गठित किये गये हैं. इनमें से जिला पंचायत सी.ई.ओ. द्वारा गठित जांच दल का जांच प्रतिवेदन तय समय से 4 माह बाद आ चुका है.
क्या है जांच प्रतिवेदन में?
फरवरी 2023 को आरटीआई के माध्यम से निकाली गई 5 पन्नों की जांच रिपोर्ट न्यूजबाजी के हाथ लगी है. गीत कुमार सिन्हा, उप संचालक पंचायत की अध्यक्षता में गठित 3 सदस्यीय जांच कमेटी ने आज से 48 दिन पहले 13 जनवरी 2023 को अपनी जांच रिपोर्ट पेश कर दी है.
इस जांच प्रतिवेदन में विज्ञापन संबंधी गड़बड़ियां, वरियता सूची में त्रुटियां, 2 अभ्यर्थियों द्वारा फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र का इस्तेमाल करने, 3 अभ्यर्थियों द्वारा ओपन परीक्षा की अंकसूची का उपयोग करके अनुभव का अंक पाने व पंचायत सचिव भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण रोस्टर के नियमों का पालन नहीं करने जैसी गंभीर अनियमितताओं को उल्लेखित किया गया है. साथ ही इस जांच प्रतिवेदन में पंचायत सचिव भर्ती प्रक्रिया में कार्यालयीन पत्र व संबंधित नस्ती पूर्ण नहीं होने के कारण तत्कालीन शाखा लिपिक की भूमिका को संदिग्ध माना गया है.
जांच कमेटी की रिपोर्ट का “निष्कर्ष” पाठकों के लिए अक्षरशः
उपलब्ध दस्तावेजों के अवलोकन के आधार पर सचिव भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण के तहत् नियुक्ति हेतु गलत आरक्षण रोस्टर का पालन किया गया, कुछ अभ्यर्थियों को लाभ पहुंचाने की मंशा से फर्जी अनुभव प्रमाण पत्रों को संलग्न कर प्रस्तुत किया गया है तथा संलग्न अनुभव प्रमाण पत्र एवं जाति प्रमाण पत्रों को संबंधित नस्ती पूर्ण नहीं होने के कारण सचिव भर्ती 2015 के तत्कालीन शाखा लिपिक की भूमिका इस प्रक्रिया में संदिग्ध प्रतीत होती है।
जांच कमेटी ने अपने प्रतिवेदन में जो टीप लिखा है वो गौर करने लायक है. पढिए जांच कमेटी की टीपः
टीपः- सचिव भर्ती 2015 के तहत् चयन समिति के किसी भी सदस्य का बयान दर्ज नहीं कराया गया है।
प्राथमिक जांच रिपोर्ट के आधार पर चल रही है विस्तृत जांचः सीईओ जिपं
जिला पंचायत सीईओ रवि कुमार साहू ने बताया कि उनके द्वारा गठित जांच दल की प्राथमिक रिपोर्ट आ चुकी है. अब वे स्वयं इस मामले की विस्तृत जांच कर रहे हैं. जिपं सीईओ ने दावा किया है कि एक सप्ताह के भीतर उनके द्वारा यह जांच पूरी कर ली जायेगी. एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि 2015 में हुए पंचायत सचिव भर्ती प्रक्रिया में शामिल चयन समिति के सदस्यों से पत्र व्यवहार करके जवाब तलब किया जायेगा. बता दें कि कलेक्टर द्वारा दिसम्बर 2022 को जिला पंचायत सी.ई.ओ. की अध्यक्षता में एक जांच समिति गठित की है. इस जांच समिति को 7 दिनों के भीतर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करना था. मगर 77 दिन बीत जाने के बाद अब जिला पंचायत सी.ई.ओ. एक सप्ताह के भीतर जांच पूरी कर लेने का दावा जरूर कर रहे हैं.
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