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नक्सली नहीं, पुलिस ने मनाया भूमकाल दिवस, नक्सलियों के हमले में मारे गए 354 ग्रामीणों को दी श्रद्धांजलि

 Newsbaji  |  Feb 10, 2024 05:28 PM  | 
Last Updated : Feb 10, 2024 05:28 PM
सुकमा में पुलिस ने पहली बार भूमकाल दिवस मनाया.
सुकमा में पुलिस ने पहली बार भूमकाल दिवस मनाया.

सुकमा. छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग के जिलों में अब तक नक्सली भूमकाल दिवस मनाते रहे हैं. वहीं इस बार सुकमा पुलिस ने भूमकाल दिवस मनाया है. इस मौके पर पिछले 24 सालों में नक्सलियों द्वारा जिन 354 ग्रामीणों की हत्या की गई है, उन्हें श्रद्धांजलि दी गई.

कार्यक्रम में राज्यगठन के बाद नक्सल हिंसा में मारे गए ग्रामीणों के बलिदान को याद किया गया. जिले में 2001 के बाद से अब तक 354 ग्रामीणों की हत्या कर दी गई है. इसमें ऐसे ग्रामीण भी शामिल हैं जो डर के मारे पुलिस को जानकारी नहीं दी. भूमकाल दिवस पर एसपी किरण चव्हाण ने ग्रामीणों के बलिदान को याद करते हुए कहा कि शांति स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है. साथ ही नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़ आत्मसमर्पण करें और मुख्यधारा से जुड़कर विकास में भागीदारी निभाएं.

गुंडाधूर की प्रतिमा पर किया माल्यार्पण
जिला मुख्यालय स्थित पुलिस लाइन में भी भूमकाल दिवस की 114वीं वर्षगांठ मनाई गई. पुलिस प्रशासन द्वारा पहली बार इस तरह का आयोजन किया गया. इसमें 2001 के बाद जिन ग्रामीणों की हत्या नक्सलियों से हुई उनकी बलिदान को याद किया गया. एसपी चव्हाण व पुलिस अधिकारियों ने शहीद स्मारक के पास भूमकाल दिवस पर शहीद गुंडाधूर की प्रतिमा पर फूल अर्पण किए.

एर्राबोर के 95 ग्रामीणों की ली है जान
नक्सलियों ने सबसे ज्यादा जहां अत्याचार किया है वह सुकमा जिले का एर्राबोर है. कार्यक्रम में बताया गया कि यहां 95 ग्रामीणों को मौत के घाट उतारा गया है. अधिकांश ग्रामीणों की सल्वा जुडूम के दौरान हत्या हुई थी. एसपी ने कहा कि नक्सलियों की खोखली विचारधारा के बारे में ग्रामीण जान चुके हैं. नक्सली किसी के नहीं हैं, मुखबिर के नाम पर ग्रामीणों की हत्या कर रहे हैं.

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