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छत्तीसगढ़ में उपचुनाव का ऐलान, भानुप्रतापपुर सीट पर 5 दिसंबर को होगा मतदान, मनोज मंडावी के निधन से खाली हुई सीट

 Newsbaji  |  Nov 05, 2022 01:51 PM  | 
Last Updated : Jan 06, 2023 10:19 AM

रायपुर। छत्तीसगढ़ में विधानसभा उपचुनाव की घोषणा हो गई है। यह चुनाव कांकेर जिले की भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट के लिए होना है। यह सीट पिछले महीने कांग्रेस विधायक मनोज सिंह मंडावी के निधन से खाली हुई है। यह चुनाव गुजरात आम चुनाव के साथ ही कराया जाएगा। इसका परिणाम भी गुजरात-हिमाचल के परिणामों के साथ आएगा।

चुनाव की अधिसूचना 10 नवंबर को जारी कर दी जाएगी। इसी के साथ नामांकन प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी। पांच दिसम्बर को मतदान और 8 दिसम्बर को मतगणना की तारीख तय है। चुनाव कार्यक्रम जारी होते ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है।

चुनावी शेड्यूल

  1. नामांकन-10 नवम्बर से 17 नवंबर
  2. नामांकन की जांच -18 नवंबर
  3. नाम वापसी का मौका -21 नवंबर तक
  4. मतदान- 05 दिसंबर
  5. मतगणना- 08 दिसंबर

भानुप्रतापपुर सीट का चुनावी इतिहास
बता दे कि, संयुक्त मध्य प्रदेश के समय 1962 में पहली बार भानुप्रतापपुर का विधानसभा क्षेत्र घोषित किया गया। पहले चुनाव में निर्दलीय रामप्रसाद पोटाई ने कांग्रेस के पाटला ठाकुर को हराया। 1967 के दूसरे चुनाव में प्रजा सोसलिस्ट पार्टी के जे हथोई जीते। 1972 में कांग्रेस के सत्यनारायण सिंह जीते। 1979 में जनता पार्टी के प्यारेलाल सुखलाल सिंह जीत गए। 1980 और 1985 के चुनाव में कांग्रेस के गंगा पोटाई की जीत हुई।

1990 के चुनाव में निर्दलीय झाड़ूराम ने पोटाई को हरा दिया। 1993 में भाजपा के देवलाल दुग्गा यहां से जीत गए। 1998 में कांग्रेस के मनोज मंडावी जीते। अजीत जोगी सरकार में मंत्री रहे। 2003 में भाजपा के देवलाल दुग्गा फिर जीत गए। 2008 में भाजपा के ही ब्रम्हानंद नेताम यहां से विधायक बने। 2013 में कांग्रेस के मनोज मंडावी ने वापसी की। 2018 के चुनाव में भी उन्होंने जीत दर्ज की।

मनोज मंडावी का निधन
भानुप्रतापपुर सीट से कांग्रेस विधायक और आदिवासी समाज के प्रभावशाली नेताओं में से एक मनोज सिंह मंडावी का 16 अक्टूबर 2022 को निधन हो गया। उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। हॉस्पिटल पहुंचने तक उनका निधन हो चुका था। उनकी अन्त्येष्टि में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित प्रदेश कांग्रेस का पूरा नेतृत्व उनके पैतृक गांव नथिया नवागांव पहुंचा था। उनके निधन के बाद विधानसभा में उनकी सीट को रिक्त घोषित कर निर्वाचन आयोग को सूचना भेजी गई थी।

प्रदेश में इतनी बार हुए उपचुनाव
छत्तीसगढ़ के 22 सालों में अब तक 13 बार उप चुनाव हो चुके हैं। अब तक सबसे अधिक चार उपचुनाव 2008-13 के दौर में हुए। उस समय देवव्रत सिंह के सांसद बन जाने से खाली खैरागढ़ सीट पर उप चुनाव हुए। केशकाल में महेश बघेल, भटगांव में रविशंकर त्रिपाठी और संजारी बालोद में मदनलाल साहू के निधन के बाद उप चुनाव की नौबत आई। 2018 से 2023 के पहले चार सालों में चार उपचुनाव पहले ही चुके हैं।

पहला उपचुनाव दंतेवाड़ा से भाजपा विधायक भीमा मंडावी की हत्या के बाद कराया गया। दीपक बैज के सांसद चुन लिए जाने पर चित्रकोट में नया विधायक चुना गया। अजीत जोगी के निधन से खाली मरवाही विधानसभा और देवव्रत सिंह के निधन से खाली खैरागढ़ में उपचुनाव हुआ है। पिछले चार सालों में यह पांचवां उपचुनाव होगा।

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