बिलासपुर. छत्तीसगढ़ में सहायक शिक्षकों की भर्ती की जानी है, जिनका चयन प्राइमरी स्कूलों में किया जाना है. छत्तीसगढ़ सरकार ने इसमें डीएड व डीएलएड के अलावा बीएड डिग्रीधारियों को भी मान्यता दे दी थी. अब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है. इसमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि बीएड वाले प्राइमरी स्कूल के बच्चों को पढ़ाने के लिए विशेष प्रशिक्षित नहीं होते.
बता दें कि छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा (भर्ती एवं शैक्षणिक संवर्ग) भर्ती नियम 2019 में डीएड व डीएलएड (वर्तमान में डीएड की जगह पाठ्यक्रम का नाम डीएलएड कर दिया गया है.) को प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने के लिए योग्य बताते हुए चयन में अनिवार्य किया गया है. वहीं जब हाल ही में सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए 6 हजार 500 रिक्त पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया तो नियम बदल दिए गए. इसमें बीएड को भी डीएड के साथ मान्यता दे दी गई. इससे डीएड वालों के चयन के मौके कम हो गए. तब उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी.
बीएड डिग्रीधारियों के चयन पर उठाए सवाल
याचिका में डीएड कर चुके उम्मीदवारों के अधिवक्ता ने तर्क पेश किया कि डीएड कोर्स में प्राइमरी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को पढ़ाने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है. जबकि बीएड में उच्चतर कक्षाओं में अध्ययन-अध्यापन का प्रशिक्षण मिलता है. ऐसे में प्राइमरी स्कूलों में अध्यापन के लिए डीएड को न सिर्फ प्राथमिकता मिलनी चाहिए, बल्कि उनका ही चयन होना चाहिए.
कक्षा 5 तक बीएड वाले अपात्र
याचिका में यह कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि कक्षा 1 से 5 तक के लिए बीएड करने वालों को शामिल करने से शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होगी. वे प्राइमरी क्लास में पढ़ाने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित नहीं हैं. इस आधार पर याचिकाकर्ताओं की ओर से शिक्षक भर्ती नियम 2019 में किए गए संशोधन को निरस्त करने की मांग की गई थी. लिहाजा कोर्ट ने बीएड डिग्रीधारियों की नियुक्ति पर रोक लगा दी.
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