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छत्तीसगढ़ का वो गांव, जहां 75 साल बाद बन रही पक्की सड़क, अब तक हेलीकॉप्टर से जाते थे ये खास लोग

 Newsbaji  |  Jan 17, 2023 07:31 AM  | 
Last Updated : Jan 17, 2023 07:31 AM
बलरामपुर के पुंदाग गांव तक पहली बार  बन रही सड़क
बलरामपुर के पुंदाग गांव तक पहली बार बन रही सड़क

रायपुर. देश को आजादी मिले 75 साल और छत्तीसगढ़ राज्य बने 22 साल हो गए, लेकिन प्रदेश में ऐसे कई इलाके हैं, जहां मूलभूत सुविधाएं भी नहीं हैं. बलरामपुर-रामनुजगंज जिले में ऐसा ही एक गांव है पुदांग. पुंदाग गांव बलरामपुर रामानुजगंज जिला से करीब 140 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. गांव की आबादी करीब 2200 है. राज्य सरकार की ओर से दावा किया गया है कि इस गांव की जिला मुख्यालय बलरामपुर से कनेक्टिविटी आजादी के 75 साल बाद भी नहीं हो पायी थी. आलम यह था कि शासन-प्रशासन के खास लोग और चुनावों के समय मतदान दल यहां हेलीकॉप्टर के माध्यम से ही यहां आते-जाते थे. अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर पक्की सड़क बनाने का काम शुरू हुआ है.

राज्य सरकार के जनसंपर्क विभाग की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में गांव से जुड़ी कई जानकारियां दी गई हैं. जारी विज्ञप्ति के अनुसार पुंदाग गांव के पहाड़ी कोरबा जनजाति के अमावस बताते हैं कि मेरी उम्र करीब 40 साल है, लेकिन मैंने अब तक जिला मुख्यालय बलरामपुर नहीं गया हूं. कारण पूछने पर कहते हैं कि यहां से बलरामपुर जाने के लिये सड़क ही नहीं थी. हमारे गांव के लोग काम पड़ने पर झारखंड के रास्ते छत्तीसगढ़ आना-जाना करते थे. कभी कोई बीमार पड़ता था तो बड़ी परेशानी होती थी. वे कहते हैं कि सड़क बन जाने से हमारे बच्चों को बड़ा फायदा होगा, वे उच्च शिक्षा के लिये गांव से बाहर जा पायेंगे.

ये समस्याएं थीं बड़ी बाधा
राज्य सरकार का दावा है कि पुंदाग जाने के लिये घने जंगल और कई घाट पड़ते हैं. दुर्गम इलाका होने की वजह से यहां सड़क बनाना आसान नहीं था. बीच रास्ते में कई सारी चट्टाने और नाले बड़ी बाधा थे. इसके साथ ही ये इलाका अति नक्सल प्रभावित था. इस गांव के तुरंत बाद झारखंड सीमा पर बूढ़ापहाड़ इलाका है, जिसे नक्सलियों का गढ़ माना जाता था. राज्य बनने के बाद से इस इलाके में करीब 435 नक्सल घटनायें हुईं थीं, लेकिन विगत 4 वर्षों की बात करें तो मात्र छुटपुट घटनाएं हुईं हैं, साथ ही एक भी जान-माल का नुकसाल कुछ हुआ है.

नक्सलियों से निपटने खोले 4 कैंप
पूर्व में नक्सली घटनाओं के चलते इस क्षेत्र में विकास कार्यों की गति थोड़ी धीमी हो गयी थी. लेकिन विगत 4 वर्षों में यहां 24 किलोमीटर में 4 कैंप स्थापित किये गये हैं. ये कैंप सबाग, बंदरचुआ, भुताही और पुंदाग में लगाये गये हैं. दावा किया गया है कि कैंप खुलने का नतीजा ये हुआ कि यहां नक्सली घटनाएं एकदम शून्य की ओर हैं और इलाके में विकास कार्य तेजी से शुरू हो गया है.

बलरामपुर कलेक्टर विजय दयाराम के. बताते हैं कि इस गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य योजनाएं पहुंचाने के लिये सबसे जरूरी था कि सबसे पहले सड़क बनायी जायेअ जिला प्रशासन ने दुर्गम परिस्थितियों के बावजूद बंदरचुआ से भुताही तक करीब 6 किलोमीटर सड़क बना दी है. भुताही से पुंदाग तक सड़क निर्माण का काम तेजी से चल रहा है. इसके साथ ही भुताही में मोबाइल टॉवर और ट्रांसफॉर्मर लग गये हैं. जिस इलाके में फोन पर बात करना मुश्किल था वहां मोबाइल टावर लगने से ग्रामीण 4 जी सेवा का उपयोग कर रहे हैं पुंदाग गांव में इसी माह सब हेल्थ सेंटर भी शुरू होने जा रहा है. स्कूल भवन का रिनोवेशन किया जा रहा है.

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