रायपुर. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बलौदाबाजार की घटना पर सरकार और प्रशासन पर कड़ी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि समाज में असंतोष बढ़ रहा है और सरकार की निष्क्रियता के कारण यह असंतोष और भी गहरा होता जा रहा है. बघेल ने बताया कि समाज ने कई बार सरकार को आवेदन दिए और जांच की मांग की, लेकिन सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की. पूर्व मंत्री उमेश पटेल ने भी उस मामले पर घेरा जिसमें पुलिस उस व्यक्ति को गिरफ्तार करने पहुंची थी, जिसकी मौत 3 माह पहले हो चुकी थी.
भूपेश बघेल ने बलौदाबाजार की घटना के बारे में कहा कि घटना के एक दिन पहले से ही लोगों का जमावड़ा शुरू हो गया था. सोशल मीडिया पर तमाम भड़काऊ पोस्ट जारी किए गए, लेकिन प्रशासन ने इसे नजरअंदाज किया. उन्होंने कहा कि घटना के दिन भी भीड़ लगातार बढ़ती रही, लेकिन सरकार ने कोई भी व्यवस्था नहीं की, जिससे कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए.
उन्होंने जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठाए. बघेल ने कहा कि जैतखाम्भ को काटने से लेकर आगजनी की घटना तक, सब कुछ एक सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा था.
इस पर कांग्रेस के नेता उमेश पटेल ने भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने पुलिस प्रशासन पर दुर्भावना से कार्रवाई करने का आरोप लगाया. पटेल ने कहा कि कांग्रेस और समाज के कार्यकर्ताओं को टारगेट किया जा रहा है. उन्होंने एक उदाहरण देते हुए बताया कि दीपक मिरी, जिनकी मृत्यु तीन महीने पहले हो चुकी है, को पुलिस गिरफ्तार करने पहुंची थी.
बलौदाबाजार घटना ने पूरे राज्य में हलचल मचा दी है. यह घटना उस समय घटी जब एक विशेष समुदाय के लोगों ने अपने धार्मिक स्थल जैतखाम्भ को काटने और उसे आग लगाने की शिकायत की. घटना के बाद राज्य में तनाव फैल गया और विभिन्न संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की.
घटना के बाद, स्थानीय लोग और राजनीतिक दलों ने सरकार और प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाए हैं. विपक्ष ने इस मामले को लेकर सरकार की आलोचना की है और इसे एक साजिश का हिस्सा बताया है. उनका आरोप है कि प्रशासन ने पहले से ही भड़काऊ पोस्ट और जमावड़े की जानकारी होने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया.
उमेश पटेल ने सदन में यह मुद्दा उठाया और पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि पुलिस दुर्भावना से काम कर रही है और कांग्रेस कार्यकर्ताओं को टारगेट कर रही है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मृत व्यक्ति दीपक मिरी को गिरफ्तार करने पहुंची पुलिस की यह कार्रवाई प्रशासन की लापरवाही को दर्शाती है.
इस मामले को लेकर सदन की कार्यवाही दोपहर 3 बजे तक स्थगित कर दी गई. विपक्ष ने इस घटना की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.
घटना ने राज्य में राजनीतिक माहौल को गरम कर दिया है. कांग्रेस ने सरकार पर समाज की समस्याओं को नजरअंदाज करने और अपनी जिम्मेदारियों को पूरा न करने का आरोप लगाया है. वहीं, सरकार का कहना है कि वह मामले की जांच कर रही है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.
यह घटना राज्य की कानून व्यवस्था और प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है. सरकार को इस मामले में सख्त कदम उठाने होंगे ताकि समाज में विश्वास बहाल हो सके और भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों.
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