रायगढ़. रायगढ़ में लैलूंगा सिंचाई विभाग किसानों के लिए सिंचाई व्यवस्था पर गंभीर नहीं हो रहा है. इसको लेकर किसानों में विभाग को लेकर काफी नाराजगी भी देखी जा रही है. दरअसल लैलूंगा क्षेत्र में सिंचाई के लिए जलस्तर के लिए 2 डेम लैलूंगा के 5 किलोमीटर के दायरे में बने हुए हैं. एक डेम लगभग 25 से 30 साल पुराना है, जिसकी मुख्य नहर लैलूंगा नगर जामबहार, से लेकर 15 गांव की सिंचाई का मुख्य स्त्रोत है. इस नहर की रखरखाव के अभाव में यह अब अपनी कई तरह की समस्याओं में अपनी क्षमता को खो रहा है. गांव के किसानों को दो फसली लेने के लिए भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. नहर रखरखाव के अभाव में गंदे नाले का स्वरूप ले रहा है.
नहर का अधिकांश हिस्सा बसाहट वाले इलाकों से गुजरता हैं, जहां खेती के लिए मुख्यतया नहर पर आश्रित रहते हैं इस नहर में सबसे बड़ी लापरवाही मरम्मत में होती है पानी की वजह से झुंझाट, घास और पौधे बड़े हो जाते हैं. विभाग कभी इसकी देख भाल में पीछे रहता है तो कई बार कर ही नही पाता है. अगर कभी कटाई हो भी जाए तो कटाई के बाद के प्रक्रिया पूरी नही करके सिर्फ खाना पूर्ति करने का काम कर देने की बात सामने आई. बीते सालों में नहर मरम्मत के लिए मोटी रकम स्वीकृत हुई थी जिसका कोई परिणाम देखने को नहीं मिल रहा.
इंजिनियर के भरोसे सालों से विभाग, प्रभारी एसडीओ आने से करते हैं परहेज
विभाग में सालों से एसडीओ का पद खाली है एक इंजिनियर के भरोसे ही विभाग चल रहा है जो अपने मनमाने रवैया के लिए जाने जाते हैं. एसडीओ धरमजयगढ़ में बैठते हैं, जिनको प्रभार दिया गया है वो लैलूंगा आने से काफी परहेज करने लगे हैं. किसानों की एक दो बैठक में उपस्थित होने के बाद पूरा विभाग इंजिनियर के भरोसे हो जाता है. ऑफिस में आने जाने वालों को इंजिनियर और एसडीओ से मिलने के लिए पूर्वानुमति के अनुसार इंतजार करना पड़ता है. 2-4 दिन के बाद समय मिल जाए तो किसान अपनी बात पहुंचाते हैं. सिंचाई विभाग के प्रभारी एसडीओ विनोद भगत का कहना है कि नहर के लिए एक प्रस्ताव भेजा गया है.
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