कोरबा। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित श्री अय्यप्पा सेवा समिति द्वारा संचालित श्री अय्यप्पा शनिश्वर मंदिर SECL सुभाष ब्लाक में अष्टनाग, कालसर्प दोष पूजा दिनांक 20 जनवरी को रात 8 बजे से आयोजित है। यह पूजा केरल के उन्नीकृष्णन नम्बुदिरी के निर्देशन में उनके सहयोगी शंकर नारायण नम्बुदरी, रवि नम्बुदरी एवं मंदिर के पुजारी शिवराज के कार्मिक्तव में विशेष "अष्ठनाग पूजा" का आयोजन किया गया है। हिन्दु आचार के अनुसार सर्वप्रथम आठ नागदेवताओं को प्राधान्य माना जाता है। इसे अष्टनाग देवता कहा जाता है।
मंदिर प्रबंधन समिति का मानना है कि इस अनुष्ठान में प्रत्यक्ष सहभागी होने से काल सर्प दोष, राहू दोष के कारण हो रही दुविधाओं का निवारण होता है। उन्होंने मलयाली समाज के साथ ही साथ सर्व समाज के लोगों से इस पूजा में भाग लेने का आह्वान किया है।
अष्टनाग पूजा
पंचमी तिथि के स्वामी नाग हैं। इस दिन अष्टनागों की पूजा प्रधान रूप से की जाती है। अष्टनागों के नाम है- अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख। इसके साथ नागों की देवी वासुकी की बहन मनसादेवी और उनके पुत्र आस्तिक मुनि की पूजा भी करते हैं। मनसा देवी और आस्तिक के साथ ही माता कद्रू, बलराम पत्नी रेवती, बलराम माता रोहिणी और सर्पो की माता सुरसा की वंदना भी की जाती है।
कौन हैं स्वामी अय्यप्पा
मान्यता है कि भगवान अय्यप्पा जगपालनकर्ता भगवान विष्णु और शिवजी के पुत्र हैं। दरअसल, मोहिनी रूप में भगवान विष्णु जब प्रकट हुए, तब शिवजी उनपर मोहित हो गए और उनका वीर्यपात हो गया। इससे भगवान अय्यप्पा का जन्म हुआ। भगवान अय्यप्पा की पूजा सबसे अधिक दक्षिण भारत में होती है। हालांकि इनके मंदिर देश के कई स्थानों पर हैं जो दक्षिण भारतीय शैली में ही निर्मित हैं।
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