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जैन संत आचार्य विद्यासागर महाराज ने डोंगरगढ़ में ली समाधि, अंतिम सांस तक रहे चैतन्य अवस्था में

 Newsbaji  |  Feb 18, 2024 11:25 AM  | 
Last Updated : Feb 18, 2024 11:25 AM
डोंगरगढ़ में आचार्य विद्यासागर महाराज ने समाधि ली है.
डोंगरगढ़ में आचार्य विद्यासागर महाराज ने समाधि ली है.

राजनांदगांव. जैन संत आचार्य विद्यासागर महाराज ने आज 18 फरवरी को डोंगरगढ़ के चंद्रगिरि में सल्लेखना के आलोक में समाधि ली है. वे पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ थे. ऐसे में उन्होंने अन्न-जल का त्याग कर दिया था. वहीं अंतिम सांस तक वे चैतन्य अवस्था में ही रहे. आज दोपहर में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.

महामुनिराज ने देर रात रात 2.30 बजे संल्लेखना पूर्वक समाधि ली. वहीं इस खबर से देशभर में शोक की लहर है. आचार्य विद्यासागर महाराज पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ थे. बीते दो दिनों से उन्होंने अन्न-जल पूरी तरह त्याग दिया था. वे अंतिम सांस तक मंत्रोच्चार करते रहे. समाधि के समय उनके पास मुनिश्री योगसागर महाराज, समतासागर महाराज, प्रसादसागर महाराज संघ समेत उपस्थित थे.

कर्नाटक में जन्म, अजमेर में दीक्षा
देशभर के जैन समाज और आचार्य के भक्तों ने उनके सम्मान में आज एक दिन अपने प्रतिष्ठान बंद रखने का फैसला किया है. रात को सूचना मिलते ही उनके हजारों शिष्य डोंगरगढ़ के लिए रवाना हो गए हैं. आचार्य का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक राज्य के बेलगांव जिले के सदलगा गांव में हुआ था. उन्होंने 30 जून 1968 को राजस्थान के अजमेर में अपने गुरु आचार्यश्री ज्ञानसागर महाराज से मुनिदीक्षा ली थी.

कठोर तप देख सौंपा था आचार्य पद
आचार्यश्री ज्ञानसागर महाराज ने विद्यासागर महाराज की कठोर तपस्या को देखते हुए उन्हें अपना आचार्य पद सौंपा था. आचार्य विद्यासागर महाराज ने लगभग 350 दीक्षाएं दी हैं. उनके शिष्य पूरे देश में विहार कर जैनधर्म की प्रभावना कर रहे हैं. वहीं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं.

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