अंबिकापुर. छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के सरकारी आदिवासी हॉस्टल में रहकर आठवीं कक्षा की पढ़ाई कर रहे छात्र ने हॉस्टल के ही एक कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. पता चला है कि उसे पथरी थी, जिससे वह पेट दर्द से परेशान रहता था. इसके बाद भी हॉस्टल प्रबंधन ने उसकी सुध नहीं ली. पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है.
बता दें कि मामला जिले के दरिमा स्थित प्री मैट्रिक अनुसूचित जनजाति बालक छात्रावास का है. यहां सीतापुर के ग्राम विशुनपुर का रहने वाला 13 वर्षीय मुकेश तिर्की कक्षा आठवीं की पढ़ाई कर रहा था. बीते बुधवार को वह हॉस्टल से स्कूल नहीं गया था. शाम को स्कूल से जब सहपाठी लौटे तो मुकेश के कमरे का दरवाजा बंद था. खिड़की से झांकने पर फांसी पर उसकी लाश लटक रही थी. इसके बाद उन्होंने हॉस्टल अधीक्षक समेत मृत बच्चे के परिजनों को जानकारी दी.
बाद में परिजन भी पहुंच गए. वहीं पुलिस भी सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची. शव को कब्जे में लेकर उसे पीएम के लिए भेजा गया है. खुदकुशी का स्पष्ट कारण तो सामने नहीं आया है, लेकिन परिजनों का कहना है कि मुकेश पथरी की बीमारी से पीड़ित था. परिजन उसका जड़ी बूटी से इलाज करा रहे थे. वहीं हॉस्टल छात्रावास प्रबंधन ने उसके उपचार की व्यवस्था नहीं की. छात्र हमेशा पेट दर्द से परेशान रहता था.
अफसर भी पहुंचे मौके पर
जैसे ही बच्चे की आत्महत्या की सूचना मिली शिक्षा विभाग और आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए हैं. वहीं इस पूरे मामले में हॉस्टल प्रबंधन की लापरवाही सामने आ रही है. शासन की कई योजनाएं छात्रावासी बच्चों के लिए संचालित होती हैं. इसके बाद भी बच्चे के इलाज के लिए किसी ने सुध नहीं ली. उसके परिजन भी जड़ी-बूटियों का सहारा लेते रहे.
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