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छत्तीसगढ़ में आंदोलन क्यों कर रहे 7000 किसान, राकेश टिकैत की एंट्री से क्या झुकेगी सरकार? जानें- सबकुछ

 Newsbaji  |  Mar 01, 2022 09:48 AM  | 
Last Updated : Jan 24, 2023 05:01 PM
छत्तीसगढ़ में आंदोलन क्यों कर रहे 7000 किसान, राकेश टिकैत की एंट्री से क्या झुकेगी सरकार? जानें- सबकुछ
छत्तीसगढ़ में आंदोलन क्यों कर रहे 7000 किसान, राकेश टिकैत की एंट्री से क्या झुकेगी सरकार? जानें- सबकुछ

नवा रायपुर में किसान आंदोलन 58 दिनों से जारी है

रायपुर. छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर में पिछले 58 दिनों से चल रहे किसान आंदोलन में अब किसान नेता राकेश टिकैत की भी एंट्री हो गई है. उत्तर प्रदेश का चुनावी शोर थमने के बाद टिकैत किसानों के समर्थन के लिए छत्तीसगढ़ आ रहे हैं. किसानों के मुद्दे को लेकर उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार से भी फोन पर बात की है. इस बीच आंदोलनरत किसान नेताओं ने कहा कि अगर कांग्रेस सरकार हमारी मांगें नहीं मानती है तो हम आंदोलन तेज करेंगे. इतना ही नहीं अगली बार से दूसरे राज्यों के हर चुनाव में जहां-जहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जाएंगे वहां-वहां हम लोग जाकर कांग्रेस सरकार की हकीकत बताएंगे.

दरअसल, नवा रायपुर स्थित मंत्रालय भवन के ठीक सामने 27 गांव के करीब 7000 किसान अपनी मांगों को लेकर 3 जनवरी 2022 से अड़े हुए हैं. साथ ही अब इन किसानों को देशभर के दूसरे किसान संगठनों का भी समर्थन भी मिलना शुरू हो चुका है. किसान संगठनों की मांग है कि छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर के विकास में सहयोग देने वाले गांव के प्रभावित सभी किसानों को पुनर्स्थापन मिले, चाहे वे भूस्वामी हों या भूमिहीन. किसानों को रोजगार मिले और उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाए. वहीं सरकार की ओर से उन्हें संपूर्ण बसाहट का पट्टा दिया जाए. किसान संगठनों का आरोप है कि गांवों की जमीन अधिग्रहण के समय राज्य सरकार ने जो वादा किया था, उसे नहीं निभाया जा रहा है. इसलिए किसान अपनी मांगे मंगवाने पर अड़े हैं और सरकार से लिखित आश्वासन की मांग कर रहे हैं.

अपने वादे से मुकर रही कांग्रेस सरकार

न्यूजबाजी से बातचीत में किसान नेता रुपन चंद्राकर का कहना है कि उनका यह आंदोलन केवल इस बात को लेकर नहीं है कि पूर्व की सरकारों ने उनकी जमीनों का अधिग्रहण कर लिया और उनसे किया वादा नहीं निभाया. दरअसल, आक्रोश का एक कारण यह है कि 2018 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भी उन्होंने एक बड़ा आंदोलन किया था. उस समय कांग्रेस पार्टी ने हमारे आंदोलन का समर्थन किया था. तभी किसान संगठनों से वादा किया था कि राज्य में सरकार बनने के बाद उनकी सभी मांगों को पूरा किया जाएगा.

किसानों की लड़ाई लड़ने की पहचान रखने वाले रुपन कहते हैं- छत्तीसगढ़ के गठन के बाद 27 गांवों की जमीन तत्कालीन भाजपा की सरकार ने नवा रायपुर इलाके को विकसित करने के लिए ली थी. किसान चाहते थे कि उन्हें इसका चार गुना मुआवजा दिया जाए. वहीं हर परिवार को 1200 वर्ग फीट जमीन देने के साथ ही हर परिवार के एक बेरोजगार सदस्य को रोजगार देने की व्यवस्था भी की जाए, लेकिन चुनाव होने के बाद राज्य में कांग्रेस सरकार को आए करीब तीन साल हो गए हैं, लेकिन उन्होंने अब तक हमारी मांगों पर गौर तक नहीं किया हैं.

आखिर किसानों का सम्मान क्यों नहीं?

किसान नेताओं का कहना है कि जब दिल्ली में किसान संगठन तीन कृषि कानून को लेकर आंदोलन कर रहे थे, तब भूपेश बघेल ने किसानों के इस आंदोलन का समर्थन किया था. वहीं जब उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले की घटना में पीड़ित किसानों के परिवार को भूपेश सरकार ने 50-50 लाख रुपए का मुआवजा देने का एलान भी किया था. ऐसे में यह सरकार हमारी मांगे अब तक क्यों पूरी नहीं कर रही है.

भाजपा सरकार जैसी निकली कांग्रेस सरकार

किसान नेता रुपन चंद्राकर का कहना है कि 58 दिनों केआंदोलन और तीन दौर की चर्चा के बाद राज्य सरकार कुछ मांगों को मानने को तैयार हो गई है. कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा था कि सरकार आठ में से छह मांगों को मानने के लिए तैयार है, लेकिन संगठन के नेताओं ने इसे धोखा बताया. उनका कहना कि जिन बातों का मंत्री जिक्र कर रहे हैं, उनमें उनके मांगपत्र के एक-दो बिंदु ही शामिल हैं. प्रमुख मांगों पर तो सरकार कुछ कह ही नहीं रही है. जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं हो जातीं आंदोलन जारी रहेगा. उनके लिए कांग्रेस सरकार भाजपा सरकार जैसी ही निकली. जब ये लोग विपक्ष में थे तो इन्हीं मुद्दों पर हमारे आंदोलन के साथ थे. अब सरकार में हैं तो इतने बड़े आंदोलन के बाद भी इनके कानों पर जूं नहीं रेंग रही है. इस सरकार के लोग किस मुंह से दूसरे राज्यों में जाकर यह कह रहे हैं कि हमने हर वचन निभाया है. अगली बार से दूसरे राज्यों के हर चुनाव में जहां-जहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जाएंगे वहां-वहां हम लोग जाकर कांग्रेस सरकार की हकीकत बताएंगे.

छत्तीसगढ़ के आंदोलनरत किसानों के एक समूह ने दिल्ली में राकेश टिकैत से मुलाकात की.

टिकैत से मिले छत्तीसगढ़ के किसान नेता

नवा राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष रुपन चंद्राकर ने बताया कि सिसौली में किसान नेता राकेश टिकैत से मुलाकात हुई है. उन्हें किसानों द्वारा 58दिनों से जारी आंदोलन की जानकारी दी गई. उनके सामने भी किसानों ने अपनी समस्या रखी है. टिकैत ने सभी बिंदुओं को सुनने के बाद किसानों का साथ देने की बात कही है और भरोसा दिया है कि वे जल्द ही रायपुर आएंगे. किसानों की मांग पूरी होने पर टिकैत सरकार का आभार जताएंगे या फिर मांग पूरी नहीं होने की स्थिति में आंदोलन को अपना समर्थन देंगे.

मुलाकात के दौरान राकेश टिकैत ने कहा था यदि सरकार इन मांगों को मान लेती है तो ठीक है लेकिन अगर नहीं मानती तो राजधानी के किसानों के साथ आंदोलन को आगे बढ़ाया जाएगा. राकेश टिकैत के साथ ही योगेंद्र यादव ने भी किसानों के समर्थन में रायपुर पहुंचकर आंदोलन में शामिल होने की बात कही है.

इन मांगों को लेकर किसानों का आंदोलन

-प्रभावित 27 ग्रामों के लिए घोषित नगरीय क्षेत्र की अधिसूचना निरस्त की जाए.

-प्रभावित क्षेत्र के प्रत्येक वयस्क व्यक्ति को 1200 वर्ग फीट विकसित भूखंड का वितरण किया जाए.

-सन 2005 से स्वतंत्र भू क्रय-विक्रय पर लगे प्रतिबंध को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए.

-सम्पूर्ण ग्रामीणों को बसावट का पट्टा दिया जाए.

-भू-स्वामियों को चार गुना मुआवजे का प्रावधान हो.

-सशक्त समिति की 12वीं बैठक के निर्णयों का पूर्णतया पालन हो.

-अर्जित भूमि पर वार्षिक राशि का भुगतान तत्काल किया जाए.

-आपसी सहमति भू-अर्जन के तहत अर्जित भूमि के अनुपात में शुल्क आवंटन हो.

सरकार कुछ मांगों पर सहमत, किसान पूरी मांगों पर अड़े

58 दिनों के आंदोलन और चार दौर की चर्चा के बाद राज्य सरकार कुछ मांगों को मानने को तैयार हो गई है. राज्य सरकार के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा था कि सरकार आठ में से छह मांगों को मानने के लिए तैयार है. यह किसानों की सरकार है. किसान हित में ही निर्णय लेती है. हालांकि किसान संगठनों ने उनके इस बयान को धोखा बताया. उनका कहना था कि जिन बातों का मंत्री जिक्र कर रहे हैं, उनमें उनके मांगपत्र के एक-दो बिंदु ही शामिल हैं. प्रमुख मांगों पर तो सरकार कुछ कह ही नहीं रही है. जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा.

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