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NMDC के भेदभाव के खिलाफ हक की लड़ाई लड़ने को आईं 4 बेटियां, नगरनार गेट पर भरीं हुंकार, जानें पूरा मामला

 Newsbaji  |  Apr 22, 2023 12:52 PM  | 
Last Updated : Apr 22, 2023 12:52 PM
एनएमडीसी नगरनार प्लांट के बाहर अनशन पर बैठीं बेटियां.
एनएमडीसी नगरनार प्लांट के बाहर अनशन पर बैठीं बेटियां.

जगदलपुर. एनएमडीसी (राष्ट्रीय खनिज विकास निगम) के नगरनार प्लांट के लिए भूमि अधिग्रहण करने के एवज प्रभावितों के बेटों को तो नौकरी दे दी गई है. लेकिन, 71 बेटियों से प्रबंधन ने किनारा कर लिया है. उनमें से चार प्रबल दावेदार हैं. अब उन्होंने ही इस भेदभाव के खिलाफ प्लांट के बाहर गेट पर अनशन पर बैठ गई हैं. वे जब तक उनकी नौकरी पक्की नहीं हो जाती, अनशन से नहीं उठने की बात कह रही हैं.

बता दें कि नगरनार की अरुणा पटनायक, अन्नपूर्णा पटनायक, फूलमती बघेल और कस्तूरी की योगिता बाला ने नौकरी की मांग करते हुए 15 दिन पहले एनएमडीसी को अनशन करने का नोटिस दिया था. पिछले दो दिनों तक कई दौर की बैठकें भी हुईं. लेकिन कोई सहमति नहीं बनने के बाद इन बेटियों ने अनशन का निर्णय लिया. उसी के अनुरूप शनिवार की सुबह ही वे गेट के बाहर पहुंच गईं और अनशन शुरू कर दिया.

ये है मामला
नगरनार स्टील प्लांट के लिए 2010 में जमीन अधिग्रहित की गई थी. जमीन के बदले मुआवजा राशि दी गई, लेकिन  नौकरी नहीं दी. तब जिला प्रशासन ने इन्हें अलग परिवार न मानते हुए नौकरी के लिए नामांकित नहीं किया. इनके पिता के निधन के बाद भी पैतृक जमीन के राजस्व रिकार्ड में समय पर इनका नाम दर्ज नहीं करने से इनके साथ यह स्थिति बनी. शिकायत पर कलेक्टर ने दोबारा जांच कराने के बाद इन्हें नौकरी के लिए पात्र बताया है. इसी के आधार पर इन्होंने प्लांट में नौकरी की मांग को लेकर आवेदन दिया है.

महिला आयोग भी पक्ष में
भू प्रभावित परिवारों में नौकरी की दावेदार कुल 71 बेटियां हैं, जो लंबे समय से लड़ाई लड़ रही हैं. इसी कड़ी में उन्होंने राज्य महिला आयोग का दरवाजा भी खटखटाया था. पूरे प्रकरण की जांच के बाद राज्य महिला आयोग ने भी भू प्रभावित परिवार की  71 बेटियों की नौकरी की मांग पर जुलाई 2021 में इनके पक्ष में निर्णय दिया. इनमे ये चारों का नाम भी शामिल है. आयोग के निर्णय को एनएमडीसी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है.

एनएमडीसी का ये कहना
बता दें कि इस संबंध में एनएमडीसी का कहना है कि अभी हाई्रकोर्ट के निर्णय का इंतजार किया जा रहा है. बता दें कि सभी 71  बेटियों में सभी का मामला एकसमान नही है. आयोग की जांच में यह बात सामने आई है. इन चार बेटियों को नौकरी के लिए पात्रता के बाद भी प्रशासन की गलती की वजह से अब तक नौकरी नहीं मिल पाई है.

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