बिलासपुर. डॉक्टरों और बुनियादी ढांचे की कमी के चलते नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) की एमबीबीएस की 30 सीटों की मान्यता रद्द कर दी है. इस कार्रवाई के बाद, सिम्स में इस सत्र में 180 की बजाय केवल 150 सीटों पर ही एडमिशन होगा. एनएमसी की टीम ने पहले ही सिम्स प्रबंधन को चेतावनी दी थी कि यदि संसाधनों और फैकल्टी में सुधार नहीं किया गया, तो सीटों की मान्यता रद्द कर दी जाएगी. इसके बावजूद, सिम्स प्रबंधन द्वारा आवश्यक सुधार नहीं किए गए, जिसके परिणामस्वरूप यह कार्रवाई हुई.
बता दें कि छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना के साथ ही सिम्स की शुरुआत हुई थी, जो प्रदेश का सबसे पुराना मेडिकल कॉलेज है. हालांकि, शुरुआत से ही इस संस्थान में फैकल्टी की कमी बनी हुई है. यहां मरीजों को दी जाने वाली सुविधाएं भी अपर्याप्त हैं. कर्मचारियों की भर्ती की मांग लंबे समय से उठाई जा रही है, लेकिन प्रबंधन और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण भर्ती प्रक्रिया वर्षों से रुकी हुई है. इसका असर सीधा सिम्स की मान्यता पर पड़ा है.
एनएमसी की कड़ी चेतावनी
एनएमसी द्वारा सिम्स प्रबंधन को भेजे गए पत्र के अनुसार, सत्र 2024-25 में एमबीबीएस के लिए केवल 150 सीटों पर ही एडमिशन दिया जाएगा, जिसमें 10 प्रतिशत सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए आरक्षित होंगी. इससे पहले सिम्स में 180 सीटें थीं, जिसमें 150 सीटें सेंट्रल और स्टेट कोटे की थीं, जबकि 30 सीटें EWS के लिए थीं.
30 सीटों की मान्यता वापस पाने की संभावना
जानकारों का कहना है कि सिम्स में एमबीबीएस की घटाई गई 30 सीटों की मान्यता वापस पाने के लिए संस्थान को डॉक्टरों और कर्मचारियों की भर्ती करनी होगी और साथ ही बुनियादी ढांचे को भी उन्नत करना होगा. यदि यह सुधार नहीं किया जाता है, तो सीटों की संख्या में कटौती स्थायी हो सकती है.
सिम्स में यह स्थिति कोई नई नहीं है; पहले भी संसाधनों की कमी के कारण इस तरह की कार्रवाई की गई है. अब सिम्स प्रबंधन के सामने चुनौती है कि वह संस्थान की स्थिति को सुधार कर सीटों की संख्या को पुनः बढ़ाने में सफल हो.
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