कोरबा. छत्तीसगढ़ के कोरबा जिला स्थित कुसमुंडा कोल माइन में 222 करोड़ की मशीन काम करने के लिए तैयार है. कोल इंडिया के चेयरमैन ने इस रेल रैपिड लोड आउट सिस्टम का उद्घाटन किया है. मालगाड़ियों की रैक में कोयला भरने वाली इस मशीन की खासियत ये है कि यह एक घंटे में 5500 टन कोयला लोड कर देगी. जबकि आमतौर पर मालगाड़ियों की क्षमता 38 से 40 हजार टन ही होती है. यानी एक घंटे से पहले ही रैक भरकर उसे रवाना कर दिया जाएगा.
बता दें कि अभी कोल इंडिया के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल दौरे पर हैं. इसी दौरान वे गेवरा खदान का इंस्पेक्शन करने पहुंचे. यही उन्होंने एसईसीएल यानी साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के सीएमडी प्रेम सागर मिश्रा समेत अन्य अफसरों की मौजूदगी में रेल रैपिड लोड आउट सिस्टम का उद्घाटन किया. इसके साथ ही पहले से ही त्वरित गति से कोयला उत्पादन और डिस्पैच कराने के लिए जाना जाने वाला ये कोल माइन अब नई उपलब्धियां छुएगा.
ऐसे काम करता है सिस्टम
एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदानों में गिनी जाने वाली गेवरा, कुसमुंडा और दीपका खदानों में लगातार नई मशीनरियों का उपयोग किया जा रहा है. इसी कड़ी में कोयला डिस्पैच के लिए भी कई कवायदें की जा रही हैं. इसमें रेलवे ट्रैक के ऊपर एक विशाल बंकर तैयार किया गया है. बेल्ट के जरिए खदान से कोयला सीधे इस बंकर में भरा जाता है.
30 हजार टन है बंकर की क्षमता
इसकी क्षमता 30 हजार टन है. मालगाड़ी की रैक को लगाने के बाद इसके निचले हिस्से को खोला जाएगा, जिससे मालगाड़ी में कोयला लोड होगा. एक डिब्बे के भरने पर उसे आगे बढ़ाया जाएगा. इस तरह पूरी रैक के सभी डिब्बे एक घंटे से पहले ही लोड होकर गंतव्य के लिए रवाना हो जाएगी. इसकी मदद से अब हर साल इसकी मदद से 200 लाख टन कोयले की लोडिंग सालाना की जा सकेगी.
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