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14 साल का बालक यूट्यूबर दोस्त से मिलने घर से 5 लाख के गहने व पैसे लेकर भागा, और फिर…

 Newsbaji  |  Nov 16, 2024 01:35 PM  | 
Last Updated : Nov 16, 2024 01:35 PM
राजनांदगांव में आरपीएफ ने बच्चे से पूछताछ कर परिजनों के हवाले किया.
राजनांदगांव में आरपीएफ ने बच्चे से पूछताछ कर परिजनों के हवाले किया.

राजनांदगांव. महाराष्ट्र के तिरोडा से एक 14 वर्षीय लड़के ने अपने यूट्यूबर दोस्त से मिलने के लिए घर छोड़ दिया. यह नाबालिग घर से चुपचाप गहने और नकदी लेकर कोलकाता की ओर रवाना हो गया. अपने घरवालों को बिना बताए निकलने के पीछे लड़के का अपने माता-पिता से नाराज होना बताया गया. हालांकि, सफर के दौरान उसकी संदिग्ध हरकतों के चलते रेल सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने उसे राजनांदगांव में पकड़ा. पूछताछ के बाद उसके इरादों और घर से चोरी की गई संपत्ति का खुलासा हुआ.

राजनांदगांव रेलवे स्टेशन पर प्लेटफार्म नंबर 1 पर तैनात आरपीएफ टीम, जिसमें प्रभारी निरीक्षक तरुणा साहू और अन्य अधिकारी शामिल थे, गाड़ी संख्या 18029 शालिमार एक्सप्रेस की चेकिंग कर रही थी. इस दौरान उन्होंने एसी कोच के पास एक डरे-सहमे लड़के को देखा. आरपीएफ को उसकी गतिविधियों पर शक हुआ, जिसके बाद उसे रोककर पूछताछ की गई. गोल-मोल जवाब देने के कारण लड़के को राजनांदगांव आरपीएफ पोस्ट लाया गया.

लड़के के पास मिले लाखों के गहने और नकदी
आरपीएफ द्वारा पूछताछ में पता चला कि नाबालिग लड़का गोंदिया से शालिमार एक्सप्रेस में कोलकाता जाने के लिए निकला था. उसके पास एक काले रंग का बैग था. जब बैग की तलाशी ली गई, तो उसमें 54,500 रुपये नकद, लगभग 4,33,000 रुपये के सोने-चांदी के गहने और एक ओप्पो कंपनी का मोबाइल फोन मिला, जिसकी कीमत 13,000 रुपये थी. बैग में मौजूद संपत्ति की कुल कीमत लगभग 5 लाख रुपये आंकी गई. लड़के ने स्वीकार किया कि यह संपत्ति उसने अपने घर से चुराई थी.

माता-पिता से नाराज होकर घर छोड़ने की वजह
नाबालिग ने पूछताछ के दौरान बताया कि वह अपने माता-पिता से नाराज होकर गुस्से में घर छोड़कर निकल गया था. उसका इरादा कोलकाता जाकर अपने एक यूट्यूबर दोस्त से मिलने का था. उसने कोलकाता का टिकट पहले ही बुक करवा लिया था और गुस्से में घर से पैसे और गहने उठा लिए थे. उसकी मानसिक स्थिति और उसकी उम्र को ध्यान में रखते हुए आरपीएफ ने मामले को संवेदनशील तरीके से संभाला.

आरपीएफ ने परिजनों को सौंपा बच्चा
पूछताछ और संपत्ति के सत्यापन के बाद आरपीएफ ने लड़के के परिजनों को सूचना दी. उसके माता-पिता के राजनांदगांव पहुंचने पर नाबालिग को सुरक्षित रूप से उनके हवाले कर दिया गया. यह घटना एक ओर बच्चों की सुरक्षा को लेकर जागरूकता की आवश्यकता को रेखांकित करती है, तो दूसरी ओर डिजिटल प्रभाव और सामाजिक संपर्क के प्रभाव को भी उजागर करती है. आरपीएफ की सतर्कता और त्वरित कार्रवाई से न केवल चोरी की घटना को रोका गया, बल्कि एक बच्चे को संभावित खतरों से भी बचाया जा सका.

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