Wednesday ,December 04, 2024
होमटिप्पणीहमें ऑक्सीजन अमेजन के जंगलों से नहीं,आसपास के पेड़ों से ही मिलेगी,दिल्ली के हालात देख ही रहे हैं.......

हमें ऑक्सीजन अमेजन के जंगलों से नहीं,आसपास के पेड़ों से ही मिलेगी,दिल्ली के हालात देख ही रहे हैं....

 Newsbaji  |  Mar 24, 2022 11:39 AM  | 
Last Updated : Jan 06, 2023 10:18 AM

टिप्पणी. बहुत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। खुलेआम होने वाले पेड़ कटाई व इसके परिवहन को शासन प्रशासन व जनप्रतिनिधि सभी देख रहे हैं। पूर्व में कई बार इस संबंध में खबरें प्रकाशित होती रही है। मगर इसके बावजूद कोई कार्रवाई भी नहीं होती।

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के पाटन क्षेत्र में बड़ी संख्या में अर्जुन के पेड़ है। जिस पर कोसा पालन कर किसान सालाना हर पेड़ से करीब 2 हजार रूपए का कोसा उत्पादन कर सकते है। इस संबंध में पूर्व जिला पंचायत सीईओ सतोविशा समाजदार से चर्चा करने पर उनके पहल से पाटन क्षेत्र में कोसा पालन की शुरुआत भी हुई थी। दुर्ग विकासखंड के ग्रामों में भी योजना का विस्तार करने तैयारी चल रही थी। मगर उनके जाने के बाद सब कुछ ठंडे बस्ते में चला गया। जिले में साढ़े चार लाख से अधिक अर्जुन पेड़ हैं। इसमें कोसा पालन कर करोड़ों रुपए की अतिरिक्त आर्थिक आमदनी प्राप्त की जा सकती है। वह भी नाममात्र के खर्चे पर।

पेड़ और खेती का है अटूट संबंध
अर्जुन पेड़ को काटने, जो किसान सहमति देते है। उन्हें समझना चाहिए कि कृषि का पर्यावरण से अटूट संबंध है। बिना पानी के खेती संभव नहीं है, ये पेड़ पौधे ही है जो हमारे खेती के लिए पानी लेकर आते हैं। पेड़ के बिना बारिश संभव नहीं है, पेड़ है तो जीवन है, पेड़ है तो कल है,पेड़ की वजह से भूजल स्तर भी मेंटेन रहता है। आज हम जो अनियमित वर्षा एवं सूखे की हालात से जूझते है। यह सब पर्यावरण के साथ हो रही छेड़छाड़ की वजह से है। यदि अब भी नहीं चेते तो स्थिति और भी भयावह हो जाएगी। आने वाली पीढ़ीं को हम यदि तत्कालिक लाभ के लिए सूखा व बंजर धरती देकर जाएंगे तो, वे भी हमें माफ नहीं करेगी।

हमें पेड़ो को बचाना होगा, ज्यादा से ज्यादा इनको रोपना होगा।

हमें होना पड़ेगा सजग
आज स्थिति ये है कि जो मजदूर खेतों में काम करने जाते हैं। उनके सुस्ताने के लिए भी कई जगहों पर पेड़ नसीब नहीं है। स्वच्छ वातावरण नहीं होने से कार्य क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। इसलिए किसान भाईयों को भी यह समझना होगा कि पेड़ उनकी खेती के लिए कितना जरूरी है। यदि वे खुद निर्णय ले लेंगे कि, अपने खेत की मेड़ पर स्थित पेड़ को नहीं बेचेंगे, नहीं काटेंगे तो हम अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए सुखद भविष्य देकर जाएंगे। वहीं जो लोग अपने आस पास कटते पेड़ों को कटते देख मुझे क्या करना है। मेरा क्या नुकसान हो रहा है। यह सोचकर मौन साधे हैं। उन्हें भी यह समझना होगा कि उनके लिए आक्सीजन अमेजन के जंगलों से नहीं बल्कि आसपास स्थित पेड़ों से ही मिलेगी। वर्ना दिल्ली के हालात तो आप देख ही रहे हैं।

रोमशंकर यादव

पत्रकार व पर्यावरण कार्यकर्ता

(चंदूलाल चंद्राकर पत्रकारिता राज्य अलंकरण से सम्मानित)

(Disclaimer: लेखक जाने-माने पत्रकार हैं. वे सोशल मीडिया पर बेबाकी से खुले खत लिखने के लिए भी जानें जाते हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह हैं। इसके लिए Newsbaji किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है।)

TAGS
 
admin

Newsbaji

Copyright © 2021 Newsbaji || Website Design by Ayodhya Webosoft