टिप्पणी. भारतीय जनता पार्टी का जन्म आजादी के बाद की सबसे बड़ी राजनीतिक उपलब्धि है। ये दावा मैं पूरे इत्मीनान के साथ इसलिए कर रहा हूँ क्योंकि भाजपा ने बीते 41 साल में जिस गति से अपनी संतति को विस्तार दिया है। उसे अन्य कोई दूसरा दल हासिल नहीं कर पाया, उलटे इन चार दशकों में देश के प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपनी आभा गंवाई है।
सैद्धांतिक रूप से भाजपा की रीति-नीतियों से असहमत मेरे जैसे किसी आदमी के लिए भाजपा को एक बड़ी उपलब्धि कहना आसान काम नहीं है। लेकिन जो हकीकत है, सो हकीकत है। भाजपा के पास आज की तारीख में वो सब कुछ है जो एक राजनीतिक दल के पास होना चाहिए। कोई माने या न माने लेकिन भाजपा ने बीते चार दशक में जो हासिल किया है। उसे आजादी के बाद के इतिहास में एक अलग अध्याय के रूप में दर्ज किया जाएगा।
देश के पुराने चित पावन समाज कोख से जन्मे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) और फिर उसकी कोख से जन्मे जनसंघ के पुनर्जन्म के रूप में देश के सामने आई, भाजपा ने शून्य से अपनी यात्रा प्रारम्भ कर आज जो शिखर छू लिया है, वो हैरान करने वाला है। आप भाजपा की रीति-नीति से असहमत हो सकते हैं। किन्तु इस बात से असहमत नहीं हो सकते कि देश में कांग्रेस के बाद घर-घर पहुंचने वाली भाजपा एक मात्र दूसरा राजनीतिक दल है।
भारत की आजादी के पहले की राजनीति में कोसों दूर तक न दिखने वाले लोगों की प्रबल इच्छाशक्ति का ही परिणाम है कि आज भाजपा केंद्र में सत्ता में होने के साथ सर्वाधिक राज्यों में सत्तारूढ़ है। भाजपा ने अतीत की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के साथ ही वामपंथी दलों को ही नहीं अपितु तमाम गैर भाजपा दलों की जड़ें खोद फेंकी हैं। आज स्थिति ये है कि सब मिलकर भी भाजपा का मुकाबला करने की स्थिति में नहीं हैं। ये सब कुछ अचानक नहीं हुआ। इसके पीछे भाजपा के संगठनकर्ताओं की अनुकरणीय मेहनत है।
भाजपा ने आजादी का अमृत वर्ष आते तक देश की राजनीति में एक ऐसा नशा भर दिया है। जिससे जनमानस बाहर ही नहीं आ पा रहा है। मंहगाई, बेरोजगारी,संकीर्णता,अशिक्षा,बीमारी जैसे तमाम मुद्दे भी अब जनता को प्रभावित नहीं कर पा रहे। जनता राजनीति के केशर में घुली हिंदुत्व की अफीम को पीकर मस्त है। आप भाजपा के खिलाफ एक शब्द भी बोलिए, आपको आड़े हाथों ले लिया जाएगा। जनता के दिमाग पर ताला जड़कर चाबी समंदर में फेंकने की ये कला केवल और केवलभाजपा के पास है।
भाजपा अपने कार्यकर्ताओं को देव् दुर्लभ शायद इसलिए कहती है, क्योंकि देवताओं के लिए भी ऐसे मूक-बधिर कार्यकर्ता और समर्थक हासिल नहीं है जो बिना कोई प्रश्न किए नेतृत्व के इशारे पर अपने प्रतिद्वंदी की ईंट से ईंट बजा देने के लिए तत्पर हैं। राजनीति में ऐसी रतौंधी पहले कभी न देखी गई और न सुनी गई। देश में आज भी मुमकिन है कि भाजपा से ज्यादा गांधीवादी होंगे, लेकिन उनमें भाजपा कार्यकार्ताओं जैसी अंधभक्ति लेशमात्र भी नहीं है।
देश में गांधीवाद पर लगातार हमले भाजपा की सबसे बड़ी उपलब्धि है। भाजपा देश को इक्कीसवीं-बाईसवीं सदी में ले जाने का न दावा करती है और न दम्भ भरती है। भाजपा आपको त्रेता युग में ले जाना चाहती है। जहां त्रिलोक के स्वामी राजा राम की तरह तख्त पर भाजपा के नेता विराजे हों और देश में कोई दैहिक-दैविक ताप न हो। आज 80 करोड़ लोग मुफ्त के अनाज पर पल रहें हैं तो कल भले ही वे 130 करोड़ हो जाएँ तो भी कोई चिंता नहीं है। लेकिन भाजपा मजबूत होनी चाहिए।
मै कहता हूँ तो आपको बुरा लग सकता है। किन्तु हकीकत ये है कि भाजपा अपने आपको सशक्त बनाने के लिए कुछ भी, यानि कुछ भी दांव पर लगाने से भी न हिचकने वाली पार्टी है। पिछले सात साल में भाजपा ने राष्ट्रवाद के नाम पर जो कुछ किया है। यदि आप उन सब फैसलों की समीक्षा ईमानदारी से कर लें तो सत्य आपकी समझ में आ जाएगा। किन्तु दुर्भाग्य ये है कि अब आप ये समीक्षा करने के काबिल ही नहीं रहे। भाजपा का हर निर्णय आपको शिरोधार्य करना ही है। आप कोई ना-नुकर कर ही नहीं सकते, क्योंकि भाजपा ने आपको इस लायक छोड़ा ही नहीं है।
भाजपा का शक्तिशाली होना देश हित में है या नहीं, इसके बारे में कुछ कहने से बात बनने वाली नहीं है। क्योंकि बात तो कबकी बिगड़ चुकी है और इसके लिए जिम्मेदार कांग्रेस है। कांग्रेस को जिन मूल्यों की रक्षा की जिम्मेदारी देश ने सौंपी थी। बीते कुछ वर्षों में उन तमाम जिम्मेदारियों से विमुख हो गई,कांग्रेस के अलावा वामपंथियों, समाजवादियों और दूसरे गैर भाजपा दलों को जनता आखिर एक के बाद एक क्यों खारिज करती जा रही है? देश की समरसता, धर्मनिरपेक्षता का कीमा बना चुकी भाजपा को आखिर कोई क्यों नहीं रोक पा रहा? जबाब सीधा सा है कि गैर भाजपा दल अब जनता के बीच से अपनी पैठ खो चुके हैं। किसी दल के पास भाजपा जैसा जाल नहीं है। जाल ऐसा जिसे कोई कुतर ही नहीं पा रहा है।
असहमति और विरोध के बावजूद मैं भाजपा के संगठनकर्ताओं और तमाम नेताओं को बधाई देना चाहता हूँ कि उन्होंने जो सम्मोहन (हिप्टोनिज्म ) राजनीति में पैदा किया है। वैसा महात्मा गाँधी के अलावा कोई दूसरा नहीं कर पाया था। मुझे तो लगता है कि यदि आज महात्मा गाँधी भी होते तो वे भाजपा के सम्मोहन के समाने नाकाम हो जाते। भाजपा लगातार हिकमत अमली से देश की जनता के दिमाग से गांधी का खुमार उतारने में लगी है। भाजपा के विद्वान तरह-तरह की किम्वदंतियां गढ़कर गांधी, नेहरू को देश का अपराधी घोषित करने में लगे हुए हैं। हालाँकि परोक्ष रूप से वे गाँधी की समाधि पर नतमस्तक होते दिखाई देते हैं, क्योंकि भाजपा को आज भी महात्मा गाँधी अपने से ज्यादा बड़ा सम्मोहनकर्ता दिखाई देते हैं।
लोकसभा में 02 सीटों से अपनी यात्रा शुरू करने वाली भाजपा आज 303 हो गई है। राज्यसभा में भी उसकी संख्या 100 हो चुकी है। कोई इन आंकड़ों को झुठला तो नहीं सकता है। संख्या बल के हिसाब से भाजपा इस समय देश की सबसे बड़ी पार्टी है। भाजपा के सम्मोहन से देश को बाहर लाने के लिए किसे क्या करना है, ये बताने की जरूरत नहीं है। लेकिन एक बात साफ़ है कि यदि भाजपा का अश्व मेघ यज्ञ न रुका तो भारत को भविष्य का श्रीलंका बनने से न कांग्रेस रोक सकेगी और न खुद भाजपा, क्योंकि भाजपा ने देश बनाने का जो रास्ता चुना है, वो एक अंधी सुरंग की और बढ़ता दिखाई दे रहा है। बावजूद भाजपा के स्थपना दिवस पर देश के हर भाजपा कार्यकर्ता और नेता को बधाई और शुभकामना।
राकेश अचल, वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार (मध्यप्रदेश)
(Disclaimer: यह पोस्ट फेसबुक से ली गई है, लेखक जाने-माने पत्रकार व साहित्कार हैं. वे सोशल मीडिया पर बेबाकी से खुले खत व लेख लिखने के लिए भी जानें जाते हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह हैं। इसके लिए Newsbaji किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है।)
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