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पिता बच्चों के सपनों के प्रति पुरानी फिल्मों के ठाकुर जैसा रवैया क्यों नहीं छोड़ पाते? पढ़ें मोटिवेशनल स्टोरी

 Newsbaji  |  May 14, 2023 09:31 AM  | 
Last Updated : May 14, 2023 09:33 AM
सांकेतिक फोटो.
सांकेतिक फोटो.

बासी कल!
अभी जो ठीक इसी समय है, उससे अनूठा, आनंददायक कुछ नहीं हो सकता. जो कल था, आज वह एकदम बासी हुआ.आज में आते ही कल बासी हो जाता है.एक और दूसरा कल,जिसकी अभी छाया भी नहीं दिखी, उसकी लिए अधिक चिंता मन को बेचैनी, व्याकुलता से भर देती है. आज भी होने से अधिक सुंदर दूसरा कुछ नहीं! हम कितनी अधिक तैयारी करते हैं, तैयारी को लेकर भी उतने ही तैयार रहते हैं. लेकिन यह सब करते हुए हम भूल जाते हैं कि जीवन की रिहर्सल संभव नहीं.

लाओत्से ने बड़ी सुंदर बात कही, 'जीवन कोई नाटक नहीं कि तुमने आज रिहर्सल किया और कल नाटक में शामिल हो गए. जीवन में कोई भी रिहर्सल संभव नहीं. इसलिए नाटक में सफल हो जाना आसान, जीवन में सफल होना बड़ा मुश्किल. तैयारी करने का कोई असर नहीं. यहां सब कुछ नहीं नया है.'

जीवन नए-नए सवालों से भरा हुआ है. यही उसकी सबसे बड़ी सुंदरता है, चुनौती भी. ऐसे में जरूरी है, सवालों को देखते हुए चश्मा नया लिया जाए. पुरानी नज़र से देखते रहेंगे तो सब कुछ बासी ही दिखेगा. जीवन संवाद को बहुत सारे ई-मेल और चिट्ठियां मिलती हैं. उनमें सबसे बड़ी दुविधा निर्णय को लेकर है. माता/पिता नाराज हैं, बेटे ने विरासत को ठुकरा दिया. तो कहीं संतान नाराज है कि पिता उसकी सपनों के प्रति पुरानी फिल्मों के ठाकुर जैसा रवैया क्यों नहीं छोड़ पाते. इसकी मूल वजह वर्तमान में बासी कल का खूंटा गाड़े रहने की जिद के अतिरिक्त कुछ नहीं.

थोड़ी सजगता से देखने पर हम पाएंगे एक समय का बासी भी न खाने वाले, बीते हुए कल के आंगन से बासी-बासी उलाहने लिए जीवन की सीधी राह पकड़ने की जगह एक ही जगह पर गोल-गोल घूमते रहते हैं. जिंदगी में आसान कुछ भी नहीं. लेकिन बीते हुए कल के आंगन में बार-बार झांकने से जीवन का रस कम होता जाएगा. जीवन एक अद्भुत संभावना है. जिसने इसको समझ लिया, वही इसके आनंद को ठीक से सह पाएगा. बता पाना भी उतना संभव नहीं, जितना उसे महसूस करना है. यहां जो बातें कही गई हैं, उनको वैज्ञानिकता के दृष्टिकोण से भी परखना चाहिए. जीवन को चिंता और बेकार की योजना के इंद्रजाल से निकालना जरूरी है.

अमेरिका के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ की रिपोर्ट कहती है कि अत्यधिक चिंता और तनाव लेने के कारण हमारे शरीर में कॉर्टिसोल और एंड्रेनालाइन जैसे हार्मोन बनते हैं. इनके कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) कमजोर होती जाती है. इनकी अधिक मात्रा शरीर में ब्लड शुगर को बढ़ाने का काम करती है. इसी तरह जरूरत से ज्यादा तनाव, हर बात को लेकर उत्तेजित होने की आदत मन पर विपरीत असर डालती है. तनाव, निर्णय लेने की क्षमता और इम्युनिटी को प्रभावित करता है. तनाव और कॉर्टिसोल जैसे हार्मोन हाई- लो ब्लड प्रेशर की वजह भी बनते हैं. इसलिए, इनके प्रति सजगता जीवन के लिए अनिवार्य है. जीवन के लिए, मुसीबतें नई नहीं हैं. हमारे पुरखों ने एक से बढ़कर एक संकटों का सामना किया. तब हम यहां तक पहुंचे. उनकी स्मृतियों में झांकने से बल मिलता है. मुझे मिलता है. मेरी गुजारिश है, आप भी कोशिश कीजिए.मन को हल्का और प्रेम से भरपूर होने की दिशा में यह उपयोगी पहल हो सकती है.

जीवन के प्रति शुभकामना सहित...

-दया शंकर मिश्र
(Disclaimer: लेखक देश के वरिष्ठ पत्रकार हैं. ये लेख डिप्रेशन और आत्महत्या के विरुद्ध लेखक की किताब 'जीवन संवाद' से लिया गया है.)

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