चिट्ठीबाजी. दोस्तो किसी भी अपराध की पहली सूचना जो थाने में दी जाती है, उसे हम प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) कहते है । FIR के लिए घटना का स्थल महत्वपूर्ण होता है। जिस स्थल में अपराध घटित हुआ हो, उसी क्षेत्र के थाने में FIR दर्ज की जाती है। इसका एक सरल क्रमांक होता है। जिसे FIR क्रमांक या FIR नंबर कहा जाता है। जिसे उस थाने में दिया जाता है। जिस थाने में रिपोर्ट लिखी जाती है।
जीरो FIR के मायने
बता दे कि जीरो FIR का साधारण यह अर्थ होता है कि वह किसी भी थाने पर दर्ज करायी जा सकती है। एवं बिना FIR नंबर के होती है। जिसकी रिपोर्ट किसी भी थाने के अधिकारी द्वारा लिखी जा सकती है। इस प्रकार की FIR को पूर्ण रूप से तो मान्यता नहीं दी गई है। लेकिन महिला संबंधी अपराधों में महिलाओं को प्रदत्त विशेषाधिकार के तहत बलात्कार, दहेज प्रताड़ना, घरेलू हिंसा संबंधित मामलों में इस प्रकार की FIR को मान्यता दी गई है और पीड़िता किसी भी थाना क्षेत्र में जो उसके निकट है। वहां जाकर अपने साथ घटित हुई घटना की जानकारी पुलिस थाने के संबंधित अधिकारी को दे सकती है। वह अधिकारी प्रारंभिक सूचना को बिना सरल क्रमांक अर्थात जीरो में रजिस्टर करके मामले को संबंधित थाने में भेज देगा। अधिकतर मामलों में FIR उस ही थाना क्षेत्र द्वारा लिखी जाती है, जिस थाना क्षेत्र में अपराध घटित हुआ है। इसका उपयोग अत्यंत बहुत ही कम मामलों में किया जाता है।
(Disclaimer: बालोद जिले के गुरुर थाने के थानेदार ने जीरो FIR को लेकर जानकारी साझा की है। इसके लिए Newsbaji किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है.)
सावधान रहें सुरक्षित रहे। थाना गुरूर द्वारा जनहित में जारी।
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