Friday ,October 18, 2024
होमचिट्ठीबाजीपिक्चर तो अभी बाकी है, दोस्त!...

पिक्चर तो अभी बाकी है, दोस्त!

 Newsbaji  |  May 02, 2024 12:34 PM  | 
Last Updated : May 02, 2024 12:34 PM
कमजोर दिल वाले चाहें तो ट्रेलर देखकर ही उठ सकते हैं. उन्हें अधिकार है.
कमजोर दिल वाले चाहें तो ट्रेलर देखकर ही उठ सकते हैं. उन्हें अधिकार है.

(व्यंग्य: राजेंद्र शर्मा)
हम तो पहले ही कह रहे थे, ये इंडिया वाले क्या खाकर मोदी जी का मुकाबला करेंगे. कहां मोदी जी की छप्पन इंच की छाती और कहां इनका इनका चिड़िया के बराबर का दिल; जोर की धमकी भी नहीं झेल पाएंगे. देख लीजिए, मोदी जी ने बांसवाड़ा से शुरू कर के जरा सा अपना जलवा दिखाया नहीं, ये लगे हाय-हाय करने. बचाओ-बचाओ की अपनी गुहार लेकर, चुनाव आयोग तो चुनाव आयोग, अदालत तक के दरवाजे पर पहुंच गए. और ये हाल तो तब है, जबकि मोदी जी ने पहले ही आगाह कर दिया था कि अब तक जो दिखाया है, वह तो सिर्फ ट्रेलर था. पिक्चर तो अभी बाकी है.

अब कमजोर दिल वाले चाहें तो ट्रेलर देखकर ही उठ सकते हैं. उन्हें अधिकार है. बल्कि मोदी जी ने ऐसे कमजोर दिल वालों के लिए अपनी तरफ से पहले ही डिस्क्लेमर डाल दिया है. बस हॉरर फिल्म, हॉरर फिल्म का शोर मचाकर, ‘मोदी स्टोरी’ का बाक्स ऑफिस पर प्रदर्शन खराब करने की कोशिश न करें. आखिरकार, हॉरर हो या कॉमेडी, फिल्म तो फिल्म है.

कॉमेडी हंसाती है, अच्छी कॉमेडी ज्यादा हंसाती है, वैसे ही हॉरर फिल्म डराती है और अच्छी हॉरर फिल्म खूब डराती है. ट्रेलर देखकर, बहुत डरावनी, बहुत डरावनी कहकर, हॉरर फिल्म को फ्लाप कराना तो, सिनेमा की कला के साथ न्याय नहीं होगा. अच्छी हॉरर फिल्म, डराएगी नहीं तो क्या हंसाएगी? ट्रेलर डरावना है यानी मोदी स्टोरी के शानदार हॉरर फिल्म निकलने का भरोसा कर सकते हैं. बस नासमझ पब्लिक ही डरकर कहीं बीच में शो ही बंद नहीं करा दे!

और बांसवाड़ा वाले ट्रेलर में मोदी जी ने ऐसा क्या दिखा दिया है, जो देसी विरोधी तो विरोधी, विदेशी मीडिया वाले तक अरे-अरे का शोर मचा रहे हैं. मोदी जी ने फकत तीन बड़े और चार-पांच छोटे-छोटे झूठ ही तो बोले थे. छोटे-छोटे झूठों का तो क्या गिनना-गिनाना, बड़े झूठ गिनती के थे. पहला, मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है. दूसरा, कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में कहा है कि दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों की जमीन, एक-एक चीज का सर्वे कराएंगे. तीसरा, गरीबों से छीनकर सब मुसलमानों में बांट देंगे, जैसा कि मनमोहन सिंह की सरकार ने कहा था! उसके अलावा तो कुछ भी नहीं है, कवि कल्पना की उड़ान के सिवा. बहनों-माताओं के मंगलसूत्र छीने जा रहे हैं. घर-घर की तलाशी ली जा रही है, सोना जब्त किया जा रहा है. विदेश से आयी एक्सरे मशीन से देख-देखकर, दीवारों में चिनकर, बाजरे के डिब्बे में छुपाकर रखी नकदी-गहने वगैरह निकलवाए जा रहे हैं; ये सभी तो कल्पना की उड़ानें हैं.

रचनाकार की, फिल्मकार की कल्पना की उड़ानें; उनमें झूठ क्या और सच क्या? झूठ के चक्कर में अब क्या कल्पना की उड़ान पर ही पाबंदियां लगवाना चाहते हैं, मोदी जी के विरोधी! कल्पना को स्वतंत्र छोड़े बिना कोई फिल्म बन ही नहीं सकती है, हॉरर तो क्या कॉमेडी फिल्म भी नहीं.

और एक बार जब कल्पना उड़ान भरने लगती है, तो फिर हद-बेहद, तुक-बेतुक की सारी सीमाएं छोटी पड़ ही जाती हैं. वैसे भी कल्पना के आकाश में वैसी सीमाएं थोड़े ही खिंची हुई हैं, जैसी हम इंसानों ने जमीन पर खींची हुई हैं. आकाश में उड़ती पतंग की तरह कल्पना हवा से कभी भी, किसी भी तरफ जा सकती है. इश्क की तरह कल्पना पर भी जोर थोड़े ही चलता है. और बड़े रचनाकार की तो पहचान ही यह है कि वह कल्पना के घोड़ों को बेलगाम हवा से बातें करने देता है. पब्लिक के लुटने-लूटे जाने की कल्पना ने मंगलसूत्र, गहनों, घर के कमरों के लुटने से आगे उड़ान भरी, तो मामला और बारीक लूट की ओर बढ़ गया. अब दलितों, आदिवासियों, ओबासी के आरक्षण की लूट दिखाई देने लगी. यानी मंगलसूत्र से लेकर आरक्षण तक की लूट और लूट-लूटकर मुसलमानों के बीच उसका बांटा जाना. एक तो लूट, उसके ऊपर से लूट के माल का मुसलमानों के बीच बंटवारा यानी डबल-डबल हॉरर! यह हॉरर स्टोरी तो जबर्दस्त होनी ही होनी है.

शुक्र है कि चुनाव आयोग रचना के लिए कल्पना का महत्व समझता है; वह कल्पना की ऐसी उड़ानों पर बंदिशें लगाने की गलती नहीं करने वाला है. उल्टे वह तो खुद कल्पना का प्रयोग कर नये-नये तजुर्बे कर रहा है. तभी तो शिकायतें आयीं मोदी जी और चिट्ठी लिखकर जवाब मांगा पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से; यह आयोग की कल्पनाशीलता का सबूत नहीं तो और क्या है? चुनाव आयोग पर तो हमें पूरा विश्वास है कि रंग में भंग नहीं डालेगा, बस पब्लिक ही कहीं हॉरर से डरकर ट्रेलर के बाद ही फिल्म बंद नहीं करा दे.

बेशक, ट्रेलर में भी कई अवांतर कथाओं की झलकियां हैं. एक से एक डरावनी. सूरत वाली कहानी, चंडीगढ़ के मेयर चुनाव से भी ज्यादा डरावनी. चंडीगढ़ में तो फिर भी वोट पड़े थे और कहने को वोटों की गिनती भी हुई थी. तभी तो चुनाव में धांधली हुई, जो पकड़ी भी गयी. लेकिन, सूरत में तो वोट डलने की नौबत ही नहीं आयी. बिना एक भी वोट पड़े, चार सौ पार वाली एक सीट मोदी जी के अंगने में. वोट डलने की जगह, मोदी जी का उम्मीदवार छोड़क़र, बाकी उम्मीदवार ही छूमंतर हो गए. कांग्रेसी उम्मीदवार और उसके एवजीदार को चुनाव आयोग ने चलता कर दिया, बाकी को मोदी जी की पार्टी ने अपने पाले में भर्ती कर लिया. न चुनाव प्रचार की किटकिट, न वोटिंग की झों-झों और न काउंटिंग का सस्पेंस, यहां तक कि चुनाव कर्मचारियों की माथा-फोड़ी भी नहीं; बस सीधे जीत! इस हॉरर कथा में कॉमेडी का भी कुछ पुट जरूर है.

और कॉमेडी का इससे तगड़ा पुट है, यूपी वाले राम राज्य की कथा में. जौनपुर में कायम वीरबहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में फार्मेसी के चार छात्रों ने राम नाम पर भरोसा कर, परीक्षा में केवल जय श्री राम लिखा और रामजी की कृपा से 75 में से 42 यानी 56 फीसद अंक लेकर पास भी हो गए. पर किसी रामद्रोही से रामनाम का यह असर देखा नहीं गया और उसने राम राज्य के सामने पश्चिमी परीक्षा राज्य को खड़ा कर, रामनाम को पिटवा दिया और पास हुए-हुआए रामभक्तों को फेल करा दिया. रामनाम का मान रखकर उन्हें पास करने वाले दो शिक्षक बेचारे सस्पेंड हो गए, सो ऊपर से. जब राम नाम की इतनी भी नहीं चली कि रामभक्त पास के पास तो रह जाते, तब योगी जी बेचारे किस मुंह से कहेंगे कि यूपी में रामराज्य बा!

ट्रेलर में और भी बहुत कुछ है. और अभी तो सिर्फ ट्रेलर आया है. पिक्चर तो अभी बाकी है, दोस्त!

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और 'लोक लहर' के संपादक हैं.)

admin

Newsbaji

Copyright © 2021 Newsbaji || Website Design by Ayodhya Webosoft