प्रिय मित्र,
मुझे पता है तुम बहुत गुस्सा होगे कि मैं ऐसे खुला खत लिखकर तुमसे बात कर रहा हूं. मैं खुद पर भी इतना ही गुस्सा हूं. इस बात को लेकर और तुम पर भी. मुझे शायद याद भी नहीं कि हमारी आखिरी बार बात कब हुई थी. शायद तुम्हारे जन्मदिन पर या मेरे जन्मदिन पर या फिर दिवाली पर. नहीं , नहीं दिवाली पर तो तुमने एक gif भेज दी थी जिसका जवाब मैंने भी एक gif से दे दिया था. तुम्हें याद है दोस्त जब हम एग्जाम में नकल किया करते थे. तब सारी चीज़ें डिटेल में एक दूसरे को बताते थे और अब स्टीकर के सहारे हम अपनी फीलिंग्स समझा देते है.
क्या है मित्र जब से नौकरी की बस पकड़ी है, तब से जिंदगी से रिश्ता कहीं बहुत पीछे छूट गया है. मैं चाहकर भी नीचे नहीं उतर पा रहा और मुझे पता है तुम भी उसी उधेड़बुन में फंसे हो. मेरे पास लोग तो बहुत से हैं मित्र, पर ऐसा कोई भी नहीं जिसको मैं वो सबकुछ बता सकूं जो तुमको बता सकता था. किसी पर भरोसा ही नहीं होता है दोस्त! और कभी कोई परेशानी आती है तो मुझे मालूम रहता है की "सब कुछ देख .. लेने को " तुम मेरे साथ नहीं होगे मित्र. इस बड़े से शहर में बिना तारों वाले आसमान को जब निहारता हूं न मित्र तो तुम्हारी बहुत याद आती है. बड़ा सा मेसेज टाइप करके भेज भी नहीं पाता हूं. क्योंकि पता नहीं तुमको कैसा लगे. न चाहते हुए भी हमारी दोस्ती में एक संकोच सा आ गया है.
पर कोई बात नही जैसे समंदर और आकाश कभी मिलते नहीं लेकिन साथ रहते हैं. वैसे ही हमारी दोस्ती भी कभी कम नहीं होगी. बस दूरी के बादल ने हमारे दोस्ती के सूरज को थोड़ा ढक दिया था। पर हम उसे हटा देंगे. मित्र हम जल्द ही मिलेंगे और रोशनी से सागर में चमक आएगी. तुम्हें पता है न मुझे अक्षर ,शब्द ,कहानी और किताबें पसंद हैं. गंगा का किनारा भी, लेकिन हां अब मैं एक दफ्तर में भी काम करता हूं.
मिहिर शुक्ल -
(आप भी हमें किसी के भी नाम मर्यादित शब्दों का उपयोग करते हुए चिट्ठी लिखकर newsbaji.editor@gmail.com भेज सकते हैं, हम उसे प्रमुखता से प्रकाशित करेंगे.)
भिलाई की स्मृति नगर चौकी पर पथराव, पुलिस ने 14 लोगों पर दर्ज किया मामला
शबरी पार छत्तीसगढ़ दाखिल हो रहे नक्सली का एनकाउंटर, एक जवान भी घायल
Copyright © 2021 Newsbaji || Website Design by Ayodhya Webosoft