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'मेहनत मिट्टी हो रही, मन निराश है,' पढ़ें एक बेरोजगार की सरकार के नाम खुली चिट्ठी

 Newsbaji  |  Dec 21, 2022 10:44 AM  | 
Last Updated : Jan 16, 2023 01:04 PM
सब इंस्पेक्टर भर्ती को लेकर पत्र
सब इंस्पेक्टर भर्ती को लेकर पत्र

चिट्ठीबाजी। हम छत्तीसगढ के वो युवा हैं जो आज सबसे ज्यादा ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। अगस्त 2018 का वो दिन जब सब इंस्पेक्टर (SI) भर्ती का विज्ञापन जारी हुआ थे, वो हर एक युवा जो पुलिस में जाना चाहता है, उसके लिए शायद साल का सबसे ज्यादा खुशी देने वाला दिन होगा। उनमें से एक मैं भी था। दिन रात की मेहनत चलती रही, मैदान में शरीर खपाना और लाइब्रेरी में दिमाग खपाना निरंतर चलता रहा। तकलीफ हुई, अड़चने आई, लेकिन हम डिगे नहीं। परिवार ने भी पूरा साथ दिया। रिश्तेदारों और समाज में फक्र से बताते थे कि बेटा SI की तैयारी में दिन रात एक किया हुआ है।

वो 4 साल ?
आज 4 साल से ज्यादा हो गए मेहनत मिट्टी हो रही है, मन में निराशा है, परिवार में चिंता का माहौल है, किताब और मैदान दोनों काटने को आते हैं। समाज ने झूठा इंसान होने का ठप्पा लगा दिया है। हर तरफ बस एक ही सवाल भर्ती का क्या हुआ ? जवाब हमारे पास कुछ भी नहीं। ऊर्जा और उत्साह 4 साल पहले जैसा नहीं रहा। हमारे सामने ही दूसरे राज्यों के युवा पुलिस बनते चले गए और हम बस उन्हें 4 सालों से मोबाइल में देखते चले गए। मां पिताजी भी दबे मन से नजर लगाए बैठे हैं कि कब संतान हमारा सहारा बनेगा। ऐसे माहौल में मन में एक प्रश्न बार बार आता है क्या पुलिस में जाने का इरादा और निर्णय सही था ?

सरकारी व्यवस्था ने ठगा

अंतरआत्मा से जवाब मिलता है। मैने तो इन 4 सालों में हर वो चीज़ की जो मुझे मेरे लक्ष्य के करीब ले जाती, लेकिन इस लचर सरकारी व्यवस्था ने मुझे और मेरे परिवार को ठग लिया। इस ठगी के प्रति लड़ाई जारी है और तब तक रहेगी जब तक इंसाफ नहीं मिलता। संघर्ष ही जीवन है। हमें नहीं पता की इस इंसाफ की लड़ाई का परिणाम क्या होगा, बस एक आस है और पुरानी कही हुई कुछ अच्छी बातें जो हमें जितने का भरोसा दिलाती हैं। कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। ये तो समय ही बताएगा की हमारी आवाज कब सुनी जाएगी पर इतना तो साफ है कि इस लचर व्यवस्था देने वाले शासन का चुनाव हम युवा तो कतई ना करेंगे।

मन भी एक जगह रुक सा गया है, निर्णय लेने में असमर्थ की पुलिस में भर्ती होने का कारवां जारी रखे या इस चाहत को दफन कर के कुछ और कर लें। आखरी उम्मीद 2022 के आखरी दिन तक है, नए साल से इस 4 साल पुराने रास्ते को छोड़कर नया रास्ता खोजेंगे। रोटी पानी के लिए कुछ तो करना पड़ेगा ना भई।

रायपुर से सुनील कुमार की चिट्ठी

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