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दोस्तों से फोन पर कई घंटे बतिया लेती हूं, लेकिन मां से... मां के लिए एहसास बयां करती बिटिया की चिट्ठी

 Newsbaji  |  Feb 25, 2023 10:45 PM  | 
Last Updated : Feb 25, 2023 10:45 PM
मां के लिए एक बेटी का खत.
मां के लिए एक बेटी का खत.

आपकी मां के जन्मदिन पर आप भी उनके के लिए तमाम तरीके के तोहफे खोजते होंगे. कुछ ने तो सरप्राइज भी प्लान किया होगा. उन्हें स्पेशल फील करवाने के लिए आप इतना तो करते ही होंगे. वो इससे खुश होंगी, वो यही तो चाहती हैं... नहीं? पर क्या आप वाकई जानते हैं कि वो क्या चाहती हैं?

दो दिन पहले मां का फोन आया. कह रही थीं कि पेपर में कोई आर्टिकल पढ़ा कि मदर्स डे पर ही क्यों मां को खास फील करवाया जाता है, क्या मां हर दिन बच्चे के लिए खास नहीं होती. मेरे पास उनके सवाल का जवाब नहीं था. मैंने हम्म... कर दिया.

मैं भी एक आम लड़की की तरह रोज दफ्तर जाती हूं. दूसरे शहर में रहने के कारण मां से मिलना कम ही हो पाता है. सच पूछें तो फोन पर बात करने के लिए भी मेरे पास इतना समय नहीं होता. दोस्तों से फोन पर कई घंटे बतिया लेती हूं, लेकिन मां से कुछ देर बात करने के बाद लगता है अब क्या कहूं? शायद आपके साथ भी कुछ ऐसा ही होता होगा.

रात जब बिस्तर पर गई तो मां के सवाल ने मुझे जकड़ लिया, पल को पुराने वक्त की सैर पर चली गई.
मां वर्किंग वुमन थीं तो भाई के साथ ही मेरा ज्यादा समय बीतता था. पर मां इस बात का ध्यान रखती थीं कि मुझे कभी उनकी कमी महसूस न हो. स्कूल से आने के बाद रोज मुझे फोन करतीं और ढेरों बातें करती. फाल्गुनी पाठक का गाना "और पिया लेके डोली आ" सुनाने को कहतीं और पूरे ऑफिस को स्पीकर पर सुनाती. जल्दी सोने की आदत थी तो आते ही किचन में खाना बनाने लग जातीं. ताकि मैं भूखे पेट न सोऊं.
धीरे-धीरे मैं बड़ी होती गई और अपनी अलग दुनिया मे खोती चली गई. फोन और दोस्तों से ज्यादा करीब आती गई. पर शायद मां अपनी अलग दुनिया नहीं बना पाई. कॉलेज और ऑफिस के बाद उनके साथ बिताने को समय कम ही मिलता और तब तक मां ने ऑफिस भी छो़ड़ दिया था. घर आते ही वो मेरे दिन के बारे में पूछती ताकि इसी बहाने मुझे उनके साथ वक्त बिताने को मिले, पर मैं थक कर सो जाती थी

आज इतनी दूर बैठी हूं उनसे, मेरे रूटीन काम की सारी जिम्मेदारियां मेरी ही हैं, फिर भी न जाने क्यों फोन करके पूछती हैं खाना खाया? रैंट दे दिया? कपड़े प्रेस से आ गए? वगैरह-वगैरह. उनसे किसने कहा इतना लोड लेने के लिए. अगर कुछ न भी हुआ हो तो वो वहां बैठकर क्या कर सकती हैं? ये तो वो समय है जब वो अपनी लाइफ जी सकती हैं, अपने लिए समय निकाल कर जो चाहें कर सकती हैं. पर शायद मां ऐसी ही होती हैं.
वो आपको खुद से दूर जाने देती हैं. ताकि आप सयाने बन सकें, जमाने की दौड़ में आगे निकल सकें. वो आपको चलने से लेकर हर वो बात सिखाती है जो जीने के लिए जरूरी है, बस खुद ही नहीं सीख पाती- आपके बिना रहना.

सालों हो गए जब घर से दूसरे शहर में रहने निकली थी, लेकिन आज भी हर बार जब घर से आती हूं तो रो देती हैं. कभी-कभी फोन पर ये कहकर इमोशनल हो जाती हैं कि मेरी तस्वीर देख रही थी. क्या आपको ऐसा कोई दिन याद है जब मां ये बिना पूछे फोन रख दिया हो कि खाना खाया या नहीं, मुझे तो नहीं है. हम सब अपनी दुनिया में इतना खो गए हैं कि इन बातों पर ठीक से गौर नहीं कर पाते.
सच पूछिए तो वो सिर्फ आपकी सलामती चाहती हैं और बस इतना कि आप उन्हें भूलें नहीं. ये स्वार्थी होना नहीं है .उनके दिल से ये डर कभी नहीं जाता कि उनका बच्चा हाथ छुड़ा कर दूसरी दुनिया में गुम हो जाएगा.

आप जो चाहते हैं अपनी मां को दीजिए पर साथ ही एक वादा भी कीजिए कि जब वो आपसे खाने के लिए पूछे तो आप भी पलटकर जवाब में "खा लिया" के साथ ये पूछेंगे कि "आपने खाया?". जब वो आपको अपनी तमाम बातें बता रही हों तो सुन लेंगे. माना आपको दूर की आंटी की जिंदगी में चल रहे किसी मसले से कोई राबता नहीं पर मां के पास कहने को शायद कोई नहीं है. सबसे जरूरी, दिन में एक बार ही सही उन्हें बताएंगे कि आपके लिए कितनी ख़ास हैं, अहसास करवाएंगे कि आप दुनिया के किसी भी कोने में हों आपका एक छोर हमेशा उनसे जु़ड़ा है.
-प्रिटी नागपाल

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